कौन हैं सद्गुरु उर्फ जग्गी वासुदेव, जग्गी वासुदेव सद्गुरु का जीवन परिचय, (Jaggi Vasudev Sadhguru Biography in hindi, Birth, Place, Family, Education, Net worth, Organisation ISHA foundation )
सद्गुरू, नाम सुनते ही एक मुस्कुराता हुआ चेहरा आंखों के सामने आ जाता हैं,एक प्रखर व्यक्तित्व वाले सद्गुरु की वाणी में इतनी शक्ति है कि उनकी बातों से लोगों का जीवन बदल जाता है। वे एक आध्यात्मिक गुरु हैं,और साथ ही मोटिवेशनल स्पीकर भी हैं। इसके अलावा उन्होंने कई पुस्तकें भी लिखी हैं, जिनमे सामान्य जीवन जी रहे लोगों के लिए कई महत्वपूर्ण बातें लिखी गई है। सद्गुरु को दुनिया भर में लोग फॉलो करते हैं और उन्हें महान दार्शनिक और अध्यात्मिक गुरु कहा जाता है।
विषय–सूची
जग्गी वासुदेव सद्गुरु जीवन परिचय, सक्षिप्त परिचय (Jaggi Vasudev Sadhguru Biography in hindi)
पूरा नाम (Full Name) | जगदीश (जग्गी) वासुदेव |
प्रसिद्ध नाम | सद्गुरु |
जन्म स्थान (Birth Place) | मैसूर, कर्नाटका, भारत |
जन्म (Date of Birth) | 3 सितंबर 1957 |
गुरु | राघवेंद्र राव जी महाराज |
संस्था/आश्रम | ईशा फाउंडेशन |
पता | ईशा फाउंडेशन, 15 गोविंदासामी नायडू लेआउट, सिगनल्लूर, कोयंबटूर- 641005 |
व्यवसाय/पेशा | संत, योगी, लेखक, कवि, वक्ता |
धर्म (religion) | हिंदू |
राष्ट्रीयता (Nationality) | भारतीय |
विद्यालय/स्कूल | Demonstration स्कूल, मैसूर (1973) |
कॉलेज | मैसूर विश्वविद्यालय |
शैक्षिक योग्यता | अंग्रेजी साहित्य में स्नातक |
पुरस्कार | पद्म विभूषण, इंदिरा गांधी पर्यावरण पुरस्कार |
नेटवर्थ (Net worth) | कुल संपत्ति 25 मिलीयन डॉलर |
परिवार (Family Details) | |
पिता (Father Name) | डॉ. वासुदेव |
माता (Mother Name) | सुशीला देवी वासुदेव |
वैवाहिक स्थिति | विवाहित |
विवाह की तारीख | 1984, महाशिवरात्रि के दिन |
पत्नी का नाम | विजया कुमारी – बैंकर मृत्यु 23 जनवरी 1997 |
पुत्री | राधे जग्गी |
सद्गुरु का प्रारंभिक जीवन
सद्गुरु के बचपन का नाम जगदीश वासुदेव था, वे मुख्यत: कर्नाटक मैसूर से संबंध रखते है, 3 सितंबर 1957 को पैदा हुए जगदीश वासुदेव के पिता डॉ वासुदेव रेलवे में डॉक्टर थे और माता सुशीला वासुदेव धार्मिक प्रवृत्ति की महिला थी।
सद्गुरू के 4 भाई बहन थे जिनमे वे सबसे छोटे थे। पिता के रेलवे में नौकरी के कारण उनका अक्सर तबादला होता रहता था जिसकी वजह से सद्गुरु को कई शहरों में रहने का मौका मिला।
एक बच्चे के तौर पर सद्गुरु बेहद अलग प्रवृत्ति के बालक थे, वे सभी वस्तुओं को निहारते रहते थे और उन्हें महसूस करने की कोशिश करते थे, प्राकृतिक वस्तुओं को देखकर उनकी आंखों में आंसू भर जाते थे।
जग्गी इतने भावुक और खो जाने वाले बालक थे कि अगर उन्हें कोई पानी भी दे रहा है तो वह पानी को भी 2 मिनट तक निहारते थे, और पानी को समझने की कोशिश करते थे कि इसका क्या काम है।
जग्गी की इस आदत से उनका परिवार काफी परेशान रहने लगा, कई लोगों को लगता था कि वह मानसिक रूप से बीमार हो चुके हैं। एक बार तो उनके माता-पिता उन्हें मनोचिकित्सक के पास भी लेकर गए थे। हालांकि उस मनोचिकित्सक की सलाह पर जग्गी को योग करने की प्रेरणा मिली।
सद्गुरु का अध्यात्म व योग के प्रति झुकाव
10 साल की अपनी योग गुरु के सानिध्य में योग करके उनका मन और उनका जीवन दोनों ही शांति की ओर बढ़ने लगा।
योग गुरु राघवेंद्र राव ने जग्गी को योग की ऐसी शिक्षा प्रदान की कि जल्द ही बालक जग्गी ने योग में महारत हासिल कर ली।
योग के अलावा जग्गी जब ध्यान करने बैठते थे तो घंटों नहीं उठते थे।
योग के अलावा जग्गी के बचपन का काफी समय जंगलों में भी तो उन्हें जंगल भी बेहद पसंद आता था, प्रकृति को निहारते रहना जंगल के कीड़े मकोड़ों से दोस्ती करना उनका पसंदीदा काम होता था इसके साथ-साथ उन्हें सांप पकड़ने का भी शौक था।
अक्सर जंगल से वापस आते समय ढेर सारे सांपों को अपनी झोली में भर लिया करते थे।
इस तरह जब सद्गुरु किशोरावस्था में पहुंचे तो उन्हें क्लाइमिक क्लब ज्वाइन कराया गया। वहां उनकी दोस्ती एक आर्मी ऑफिसर से हुई उस आर्मी ऑफिसर से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने अपने जीवन में आर्मी जॉइन करने के लिए ठान लिया।
उन्होंने आर्मी की तैयारी भी की थी, और लिखित परीक्षा भी पास कर ली थी, लेकिन इंटरव्यू देने से पहले ही उनका मन बदल गया और वह घर लौट आए।
स्कूली शिक्षा प्राप्त कर लेने के बाद सद्गुरु ने मैसूर की एक यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया, वे इंग्लिश ऑनर्स से ग्रेजुएट है।
सद्गुरु एक नहीं बल्कि कई भाषाओं की जानकारी भी रखते हैं।
शिक्षा पूर्ण कर लेने के पश्चात साल 1984 में उनके माता-पिता ने उनका विवाह विजय कुमारी से कराया, विजय कुमारी और जग्गी की एक पुत्री भी हैं जिनका नाम राधा है।
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सद्गुरु की देश यात्रा
सद्गुरु को देश भ्रमण का भी काफी शौक था ,उन्होंने पूरे भारत की यात्रा की है और हर जगह की संस्कृति को जान और समझा हैं। वे कहते हैं कि दुनिया को जानने के लिए भ्रमण आवश्यक है।
विशेष बात यह है कि उन्होंने अपनी यात्रा की शुरुआत साइकिल से की थी और बाद में उन्होंने एक मोटरसाइकिल खरीदी। इस मोटरसाइकिल से उन्होंने पूरे भारत में हर एक राज्य का भ्रमण किया, वे सभी गांवों और शहरों में रुकते थे वहां के लोगों से बातचीत करते थे।
आपको बता दें सद्गुरु को पूरी भारत यात्रा करने में 5 सालों का समय लगा था।
सद्गुरु ने कुछ समय तक बिजनेस भी किया और उनका बिजनेस काफी अच्छा चला। करीब 7 सालों तक अच्छा बिजनेस कर लेने के बाद उन्होंने उसे भी छोड़ दिया, अभी भी उनके मन में कई सवाल थे जिनके जवाब उन्हें ढूंढने थे।
जग्गी से सद्गुरु बनने की राह
कहते हैं कि एक बार जग्गी प्रसिद्ध चामुंडा की पहाड़ी पर भ्रमण के लिए गए और वहां उन्होंने ध्यान लगाया। ध्यान लगाने के बाद उन्हें कई घंटे बीत गए और उन्हें एहसास भी नहीं रहा कि वह पिछले 5- 6 घंटों से ध्यान में हैं।
उनकी इस स्थिति को देखकर आसपास के लोग उन्हें युगपुरुष के रूप में देखने लगे और उन्हें आध्यात्मिक ज्ञाता का दर्जा मिल गया।
लोगों का प्रेम और विश्वास देखकर उन्होंने ध्यान और योग में ही अपना जीवन समर्पित कर दिया।
सद्गुरु का ईशा फाउंडेशन
अपने विचारों से लोगों का जीवन बदलने वाले सद्गुरु ने 1992 में ईशा फाउंडेशन की स्थापना की, इस फाउंडेशन का मुख्य उद्देश्य लोगों की मदद करना है। यह फाउंडेशन दुनियाभर में लोगों को योग सिखाता है। अपने इस फाउंडेशन के तहत सद्गुरु बड़े बड़े कार्यक्रम आयोजित करते हैं जहां लोगों को योग और अध्यात्म की जानकारी देते हैं।
आज ईशा फाउंडेशन अमेरिका सिंगापुर इंग्लैंड लेबनान ऑस्ट्रेलिया में योग सिखाने के क्षेत्र में अच्छा काम कर रही है।
अपने ईशा फाउंडेशन के तहत विश्व भर में कार्यक्रम आयोजित कराते हैं।
यह संस्था प्राकृतिक धरोहरों की सुरक्षा के लिए भी काम करती है और इस संस्था का लक्ष्य है कि वह आने वाले समय में 16 करोड़ वृक्ष पूरे देश भर में लगाएं।
अभी तक तमिलनाडु राज्य में इस फाउंडेशन ने अकेले 8 करोड़ पेड़ लगाया है और गिनीज बुक वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज कराया है। ईशा फाउंडेशन ने मिट्टी के क्षरण एवं प्रकृति के सरंक्षण के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए मृदा बचाओ आंदोलन शुरु किया हुआ है इस आंदोलन को विश्वभर में फैलाने के लिये सद्गुरु ने 30,000 किमी मोटरसाइकिल यात्रा भी शुरु की हुई है।
ईशा फाउंडेशन अब कोई छोटा-मोटा समूह नहीं रह गया है, बल्कि 2 लाख से भी ज्यादा लोग ईशा फाउंडेशन से जुड़े हुए हैं।
सद्गुरु एक मशहूर आध्यात्मिक गुरु और मोटिवेशनल स्पीकर के रूप में जाने जाते हैं ,इनके कार्यक्रम में लाखों लोग आते हैं।
सद्गुरु के यूट्यूब पर भी कई चैनल है जहां उनके कार्यक्रमों में कहे गए वचनों को अलग-अलग भाषाओं में अनुवाद करके सभी भाषा के जानकारों के पास पहुंचाया जाता है। सद्गुरू का कहना है कि भाषा कभी सीखने के बीच में बाधा नहीं बननी चाहिए।
सद्गुरु के सोशल मीडिया अकाउंट्स (Sadhguru Social Media Accounts)
1. | सद्गुरु > You Tube Channel Link >> sadhguru |
2. | सद्गुरु > इंस्टाग्राम अकाउंट >> Instagram ID >> sadhguru |
3. | सद्गुरु > फेसबुक अकाउंट >> Facebook ID >> sadhguru |
4. | सद्गुरु > ट्विटर अकाउंट >> Twitter ID >> sadhguruJV |
5. | सद्गुरु > वेबसाइट >> www.isha.sadhguru.org |
सद्गुरु के पुरस्कार
मानव सेवा और योग सिखाने वाले सद्गुरु अपने कार्यों के लिए दुनिया भर में सम्मानित किए जाते हैं, भारत सरकार ने भी उन्हें पुरस्कार से सम्मानित किया गया है और सर्वश्रेष्ठ नागरिक घोषित किया है।
- वर्ष 1993 में सतगुरु ने लाखों लोगों को एक साथ योग सिखाया था, उनकी सराहना के लिए उन्हें भारत सरकार द्वारा पुरस्कार दिया जा चुका है।
- सबसे अधिक लगाकर उन्होंने गिनीज वर्ल्ड बुक रिकॉर्ड में अपने फाउंडेशन का नाम दर्ज कराया हैं
- 2008 में सद्गुरु ने पर्यावरण सुरक्षा करने के क्षेत्र में इंदिरा गांधी पर्यावरण सुरक्षा पुरस्कार प्राप्त किया।
- 2017 में सद्गुरु को मानव सेवा के लिए भारत सरकार द्वारा पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।
सद्गुरु की नेटवर्थ (Net Worth))
सद्गुरु वैसे तो अध्यात्म से जुड़े हुए हैं लेकिन उन्हें महंगी बाइक का काफी शौक है, आज 66 वर्ष की उम्र में साधुओं की कुल संपत्ति 25 मिलीयन डॉलर से भी ज्यादा है। 100 से भी ज्यादा पुस्तकें लिख चुके सद्गुरु के सोशल मीडिया पर भी लाखों-करोड़ों फॉलोअर्स है।