Advertisements

राष्ट्रीय पराक्रम दिवस क्यों मनाया जाता है? सुभाष चंद्र बोस जयंती पराक्रम दिवस | Subhash Chandra Bose Jayanti, Parakram Diwas 2024 in hindi

राष्ट्रीय पराक्रम दिवस 2024, पराक्रम दिवस क्या है? यह क्यों मनाया जाता है? सुभाष चंद्र बोस जयंति कब है? (Rashtriya Parakram Diwas in hindi, Parakram Diwas Kya hai)

स्वाधीनता आंदोलन में भारत के न जाने कितने सपूतों ने अपना योगदान दिया और आवश्यकता पड़ने पर अपने प्राणों की बलि भी दे दी। उन वीर सपूतों में नेताजी सुभाष चंद्र बोस दिए थे जिन्होंने भारत की स्वाधीनता आंदोलन के लिए एक संगठित सेना तैयार की और उसे आजाद हिंद फौज का नाम दिया।

Advertisements

नेताजी सुभाष चंद्र बोस में नेतृत्व की अद्भुत क्षमता थी जिसके बल पर उन्होंने आजाद हिंद फौज के सैनिकों को संगठित किया और उन्हें सैन्य प्रशिक्षण दिया। नेतृत्व के साथ साथ नेताजी सुभाष चंद्र बोस पराक्रम और अदम्य साहस के भी प्रतीक थे। इसीलिए भारत सरकार ने साल 2021 में उनकी जन्म तिथि को सार्वजनिक तौर पर राष्ट्रीय पराक्रम दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया। जिसके बाद 23 जनवरी 2022 को पहली बार नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125 वीं जयंती (Subhash Chandra Bose Jayanti) को राष्ट्रीय पराक्रम दिवस (Rashtriya Parakram Diwas) के तौर पर मनाया गया।

अब हर साल 23 जनवरी को पराक्रम दिवस के रूप में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती (Netaji Subhash Chandra Bose Jayanti 2024) मनाई जाती है और स्वाधीनता की लड़ाई में दिए गए उनके योगदान को याद किया जाता है।

नेताजी सुभाष चंद्र बोस एक ऐसे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे जिनके योगदानों पर कभी भी प्रकाश नहीं डाला गया और ना ही उन्हें उचित सम्मान दिया गया लेकिन अब भारत सरकार ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस के योगदानों पर प्रकाश डालने के लिए उनकी जयंती को पराक्रम दिवस के तौर पर मनाने का निर्णय लिया है।

तो आइए आज आपको इस आर्टिकल के जरिए राष्ट्रीय पराक्रम दिवस के बारे में विस्तार से बताते हैं।

यहां पढ़ें- नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जीवनी

राष्ट्रीय पराक्रम दिवस-Rastiya-Parakaram-Diwas 2022

राष्ट्रीय पराक्रम दिवस क्या है? कब मनाया जाता है?(Rashtriya Parakram Diwas Kya hai)

19 जनवरी 2021 को भारतीय केंद्र सरकार द्वारा यह घोषणा करी गयी कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस के 125वीं जयंती एवं जन्म दिवस, 23 जनवरी को पराक्रम दिवस घोषित किया जाएगा, और प्रत्येक वर्ष नेताजी सुभाषचन्द्रबोस के योगदान, वीरता और शौर्य दिवस को सम्मान देते हुए नेताजी का जन्मदिवस पराक्रम दिवस के रूप में मनाए जाने के लिए कहा गया।

23 जनवरी साल 2022 को पहली बार नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती को पराक्रम दिवस के रूप में मनाया गया। लेकिन अब हर साल उनकी जयंती के उपलक्ष में पराक्रम दिवस मनाया जाता है। इस बार भी 23 जनवरी 2024 को राष्ट्रीय पराक्रम दिवस मनाया जाएगा। आईए जानते हैं कि आखिर यह दिवस नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर ही क्यों मनाया जाता है।

पराक्रम दिवस क्यों मनाया जाता है?

भारत देश युवाओं का देश है, और नेताजी एक ऐसे महान व्यक्त्तित्व थे, जिनके मार्ग पर चलकर और जिनके आदर्शों को मानकर भारत को एक सही दिशा की और अग्रसर किया जा सकता है।

और भारत के युवाओं में नेताजी जैसा देशप्रेम एवं पराक्रम भरने के लिए और नेताजी के व्यक्तित्व को सही ढंग से प्रदर्शित करने के उद्देश्य से नेताजी के जन्मदिवस को पराक्रम दिवस के रूप में मनाने के लिए यह उद्घोषणा हुई।

Join Whatsapp Channel Join Now
Join Telegram group Join Now

गौरतलब है कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को कटक, ओड़िसा में हुआ था। तथा जब नेताजी 5 महीने के लिए दिखाई नहीं दिए थे और गुम हो गए थे तो, इसके बाद में रंगून जगह पर जिसे आज के समय यंगोन के नाम से जाना जाता है, जो कि सन 2006 तक म्यांमार की राजधानी थी, वहां पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की सबसे पहले जयंती मनाई गई थी। और इसे पूरे भारत में सराहा गया था।

राष्ट्रीय पराक्रम दिवस के कुछ मुख्य पहलू

ऐसा कहा जाता है कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस के परिवार ने भारत की वर्तमान केंद्र सरकार को यह निवेदन करते हुए कहा था कि कृपया करके 23 जनवरी को “देश प्रेम दिवस” घोषित किया जाए, और ममता बनर्जी जो कि तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष हैं और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री भी है, उन्होंने यह निवेदन किया था कि 23 जनवरी को “देशनायक दिवस” घोषित किया जाए और राष्ट्रीय स्तर पर एक छुट्टी भी मंजूर करी जाए।

लेकिन 19 जनवरी 2021 को भारत सरकार ने इसे पराक्रम दिवस के तौर पर घोषित किया। ऐसा माना जा रहा है कि सुभाष चंद्र बोस का परिवार तथा ममता बनर्जी जोकि तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष हैं उन्हें यह नाम पसंद नहीं आया, क्योंकि उन्होंने जो नाम सुझाए थे केंद्र सरकार ने उनमें से किसी नाम को नहीं मानते हुए अपनी तरफ से एक नाम घोषित किया।

नेताजी सुभाष चंद्र बोस कौन थे?

नेताजी सुभाष चंद्र बोस भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के वे उभरते हुए चेहरे थे, जिन्होंने भारत की आजादी के लिए अपना खून बहाया था, और सुभाष जी का जन्म 23 जनवरी 1897 को हुआ था, और ऐसा माना जाता है कि उनका देहांत 18 अगस्त 1945 को हुआ था। लेकिन कुछ मामलों में ऐसा भी माना जाता है कि उन्हें अंतिम बार उत्तर प्रदेश के फैजाबाद में देखा गया था, और 16 सितंबर 1985 को उनकी मृत्यु हो गई थी, और 18 सितंबर को उनका अंतिम क्रिया कर्म किया गया। उन्हें उत्तर प्रदेश के फैजाबाद में गुमनामी बाबा के तौर पर जाना जाता था, और बहुत से मामलों में ऐसा देखा गया कि वे नेताजी सुभाष चंद्र बोस थे। सरकारी आंकड़ों के अनुसार इसकी कोई भी पुष्टि नहीं करी गई है।

Join Whatsapp Channel Join Now
Join Telegram group Join Now

सुभाष चंद्र बोस ने आजाद हिंद फौज का नेतृत्व भी किया था, रचना भी करी थी। तथा इसी आजाद हिंद फौज ने द्वितीय विश्व युद्ध में ब्रिटिश भारत की ओर से लड़ाई में भाग लिया था।

सुभाष चंद्र बोस ने प्रेसीडेंसी कॉलेज से शिक्षा प्राप्त जो कि उस समय कोलकाता में स्थित था। 1916 में उन्होंने राष्ट्रीय गतिविधियों में भाग लेने के लिए कॉलेज छोड़ दिया था।

इसके बाद में उन्हें यूनिवर्सिटी ऑफ कैंब्रिज में, जो कि इंग्लैंड में स्थित है, वहां भेजा गया था जहां उन्होंने सिविल सर्विस की तैयारी करी थी। और वहां का सिलेक्शन हो गया था, लेकिन उन्होंने भारत की सेवा करने के लिए सिविल सर्विस की नौकरी को ठोकर मार दी इसके बाद भी सुभाष चंद्र बोस जी ने असहयोग आंदोलन, जो कि गांधी जी के द्वारा शुरू किया गया था, उस में भाग लिया तथा उन्होंने इंडियन नेशनल कांग्रेस को बहुत ही मजबूत बना लिया था। कुछ समय के लिए सुभाष चंद्र बोस इंडियन नेशनल कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे थे।

सुभाष चंद्र बोस ने 40,000 की आजाद हिंद फौज को लड़ने के लिए तैयार किया था, तथा 21 अक्टूबर 1946 को सुभाष चंद्र बोस ने ब्रिटिश साम्राज्य से भारत की आजादी की घोषणा कर दी थी।

सरकारी दस्तावेजों तथा प्राप्त जानकारी के अनुसार उनकी मृत्यु 18 अगस्त 1945 को ताइवान के एक प्लेन क्रैश में हो गई थी।

सुभाष चंद्र बोस का निधन व मृत्यु

आज के समय भी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु को लेकर की कोई भी ठोस प्रमाण नजर नहीं आते हैं, जो कि उनकी मृत्यु को परिभाषा प्रदान कर सकें। हालांकि उत्तर प्रदेश के फैजाबाद में एक ऐसे व्यक्ति को देखा गया था जो कि बिल्कुल नेताजी सुभाष चंद्र बोस की तरह ही थे, वह व्यक्ति काफी बूढ़े भी हो गए थे, उन्हें एक गुमनामी बाबा के तौर पर जाना जाता था, और उनकी मृत्यु 16 सितंबर 1985 को हुई थी। यदि ऐसा सच होता है तो यह माना जा सकता है कि नेताजी उस समय 88 वर्ष के थे और 88 वर्ष की उम्र में उनकी मृत्यु भारत भूमि पर हुई थी।

निष्कर्ष

तो आज के इस लेख में हमने जाना कि Parakram Diwas kya hai?, राष्ट्रीय पराक्रम दिवस क्यों मनाया जाता है। राष्ट्रीय पराक्रम दिवस की घोषणा कब की गई। तथा इसी के साथ हमने यह भी ज्यादा की नेताजी सुभाष चंद्र बोस कौन थे, और उन्होंने अपने जीवन में क्या उपलब्धियां हासिल करी थी, और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में उनके क्या योगदान थे। हम आशा करते हैं कि आपको राष्ट्रीय पराक्रम दिवस के बारे में सारी जानकारी मिल चुकी होगी।

आइये इन्हे भी जाने-
1. स्वामी विवेकानंद - राष्ट्रीय युवा दिवस कब और क्यों मनाया जाता है?
2. महान साहित्यकार रविन्द्रनाथ टैगोर का जीवन परिचय 
3. भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी
4. विश्व हिंदी दिवस क्यों मनाया जाता है?
5. शिक्षक दिवस का इतिहास व रोचक तथ्य
6. भारतीय सेना दिवस क्यों मनाया जाता है?

FAQ

प्रश्न- पराक्रम दिवस किसके सम्मान में मनाया जाता है?

उत्तर- नेताजी सुभाषचंद्र बोस को सम्मान एवं श्रद्धांजलि देते हुये राष्ट्रीय पराक्रम दिवस मनाये जाने की घोषणा 2021 में गई ।

प्रश्न- नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती कब मनाई जाती है?

उत्तर- 23 जनवरी को हर वर्ष सुभाष चंद्र बोस के जन्म दिवस पर मनाई जाती है। 2022 से इस दिवस को पराक्रम दिवस के तौर पर भी मनाया जाएगा।

प्रश्न- पराक्रम दिवस मनाये जाने की उद्घोषणा कब हुई?

उत्तर- 19 जनवरी 2021 को राष्ट्रीय पराक्रम दिवस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित किया गया और 2 अगस्त 2021 को इसकी आधिकारिक घोषणा केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी के द्वारा अधिसूचना जारी करके की गई।

Leave a Comment