सत्येंद्र नाथ बोस की जीवनी, कौन थे सत्येंद्र नाथ बोस, आइंस्टीन का सांख्यिकी सिद्धांत, निधन, उम्र, पत्नी, विवाह शादी (Satyendra nath boss Biography in hindi, Google doodle on Satyendra nath boss, achievements, awards, family, Satyendra nath boss invention in hindi, Bose – Einstein Statistics rules)
दोस्तों हमारे देश में बहुत सारी महान हस्तियों ने जन्म लिया जिन्होंने समाज में वैज्ञानिक क्रांति लॉकर समाज में बहुत बड़ा योगदान दिया है।
हमारे देश में विवेकानंद जी आचार्य रामकृष्ण परमहंस जैसी महान विभूतियों ने जन्म लिया। इतना ही नहीं भारतीय विज्ञान को नई दिशा दिखाने के लिए जगदीश चंद्र बसु, जहांगीर भाभा, एपीजे अब्दुल कलाम जैसी विभूतियों ने जन्म लिया। भारत को ऐसे ही विज्ञान की एक नई दिशा देने के लिए सत्येंद्र नाथ बोस भी जाने जाते हैं।
विषय–सूची
सत्येंद्र नाथ बोस जिनकों गूगल ने डूडल बनाकर किया याद (Google doodle on Satyendra nath boss)
4 जून 1924 के ही दिन ही गणीतज्ञ व फिजिक्स के महान वैज्ञानिक सत्येन्द्र नाथ बोस ने क्वॉटंम फॉमूले अल्बर्ट आइंस्टाइन को भेजे थे। इस पल को याद करते हुये उन्होंने 4 जून को सत्येन्द्र बोस का डूडल बनाकर उनकों सम्मानित किया है। गूगल द्वारा बनाया गया डूडल बोस आइंस्टीन कंडेंसेशन को चिन्हित कर रहा है। दरअसल बॉस ने ही आइंस्टाइन को क्वांटम मैकेनिक से जुड़ी हुई फार्मूले दिए जिसके बाद आइंस्टाइन क्वांटम मैकेनिक्स में अपने सिद्धांत देने में सफल हुए। इसलिए उनके सम्मान में इस सिद्धांत का नाम बोस आइंस्टीन कंडेंसेशन रखा गया है।
सत्येंद्र नाथ बोस कौन थे? (Who is Satyendra Nath boss)
सत्येंद्र नाथ बोस जी भारतीय भौतिक वैज्ञानिक थे। क्वांटम फिजिक्स में इनका कई महत्वपूर्ण योगदान रहा है। “बोस – आइंस्टीन सिद्धांत”एक उपपरमाण्विक कण बोसान को उनके नाम पर नाम दिया और जिसके लिए इनको “पद्मभूषण” से सम्मानित किया गया। उनके अनुसंधान ने क्वांटम फिजिक्स में ‘बोस -आइंस्टीन कंडनसेट’और ‘बोस- आइंस्टीन स्टेटिस्टिक्स’सिद्धांत की आधारशिला रखी।
इन्होंने आधुनिक भौतिकी मैं क्वांटम फिजिक्स को एक नई दिशा दी, भौतिक शास्त्र में दो प्रकार के अणु माने गए हैं पहला बोसान और दूसरा फर्मीयान है। भारतीय वैज्ञानिक सत्येंद्र नाथ बोस जी को बोसान नाम ने भौतिकी में अमिट के लिए दिया गया है। महान भौतिक वैज्ञानिक आइंस्टीन ने इनके कार्यों की सराहना की और इनके साथ मिलकर कई सिद्धांत का प्रतिपादन किया। इनकी खोज पर आधारित नई खोज करने वाले वैज्ञानिकों को नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ है।
इन्होंने भौतिक शास्त्र को एक नई दिशा दी है, ये भारत के महान वैज्ञानिकों में से एक माने गए हैं। भारत सरकार ने सत्येंद्र नाथ बोस जी को सन 1954 में देश के दूसरे बड़े सबसे बड़े नागरिक के रूप में पदम भूषण से सम्मानित किया था। महान भौतिकी वैज्ञानिक सत्येंद्र नाथ बोस जी का निधन 4 फरवरी 1974 में कोलकाता में हुआ था।
सत्येंद्र नाथ बोस का जीवन परिचय (Satyendra nath boss Biography in hindi)
असली नाम (Real Name) | सत्येंद्र नाथ बोस |
जन्म (Date of Birth) | 1 जनवरी 1894 |
जन्म स्थान (Place of Birth) | बंगाल कलकत्ता, ब्रिटिश भारत |
आयु (Age) | 80 वर्ष (1974) |
निधन (Death) | 4 फरवरी 1974 |
पेशा (Professions) | गणितज्ञ, भौतिकी वैज्ञानिक |
राष्ट्रीयता (Nationality) | भारतीय |
धर्म एवं जाति (caste, religion) | हिन्दू |
स्कूल (School) | हिंदू स्कूल |
कॉलेज (College) | कलकत्ता विश्वविद्यालय |
शैक्षिक योग्यता (Educational Qualification) | बीएससी, एमएससी (गणित) |
पारिवारिक (Family Details) | |
माता का नाम(Mother) | अमोदिनी देवी |
पिता का नाम (Father) | सुरेंद्रनाथ बोस |
वैवाहिक स्थिति | शादीशुदा (1914) |
पत्नी का नाम | उषाबती घोष |
सत्येंद्र नाथ बोस का जीवन और शिक्षा-
सत्येंद्र नाथ बोस जी का जन्म कोलकाता में, 1 जनवरी 1894 में हुआ था। इनके पिता का नाम सुरेंद्र नाथ बोस था, ये ईस्ट इंडिया रेलवे में इंजीनियरिंग विभाग में कार्य करते थे। सत्येंद्र नाथ बोस सात भाई बहनों में से सबसे बड़े थे, इनकी प्रारंभिक शिक्षा एक सामान्य स्कूल में हुई थी जो इनके घर के पास में ही था।
इन्होंने स्कूल की शिक्षा पूरी करके कोलकाता के एक प्रसिद्ध कॉलेज में दाखिला लिया, जिसमें इनको सभी परीक्षाओं में प्रथम स्थान रहता था और कॉलेज के सभी छात्रों के अपेक्षा इनका परीक्षाओं में सर्वाधिक अंक रहता था। इनकी इस प्रतिभा को देख सभी लोग कहते थे कि यह आगे जाकर बहुत बड़े वैज्ञानिक या गणितज्ञ बनेंगे।
सत्येंद्र नाथ बोस जी ने सन 1915 में एम.एस.सी.(गणित) परीक्षा में प्रथम श्रेणी में सफलता प्राप्त की थी। कॉलेज के प्रिंसिपल सर आशुतोष मुखर्जी इनकी योग्यता से परिचित और खुश थे। इन्होंने सत्येंद्र नाथ बोस जी को फिजिक्स के अध्यापक के रूप में नियुक्त किया था। सत्येंद्र नाथ जी ने वहां पर 1916 से 1921 तक उस पद पर कार्य किया। इसके बाद इन्होंने ढाका विश्वविद्यालय में लेक्चरर का पद ज्वाइन किया। जिसके बाद इन्होंने गणित और भौतिकी क्षेत्र में नई-नई खोज और कई महत्वपूर्ण कार्य किए।
सत्येंद्र नाथ बोस जी का करियर-
भौतिक शास्त्र में सत्येंद्र नाथ बोस जी ने कई खोज की और महत्वपूर्ण कार्य भी किए हैं। जर्मनी के भौतिक शास्त्री अल्बर्ट आइंस्टी ने “सापेक्षता का सिद्धांत” और मैक्स प्लैंक ने क्वांटम सिद्धांत का प्रतिपादन किया था। इन सभी खोजो पर सत्येंद्र नाथ बोस जी ने अध्ययन और अनुसंधान कर रहे थे।
सन 1924 में सत्येंद्र नाथ बोस ने प्लैंक’स ला और लाइट क्वांटम के नाम से एक शोध पत्र लिखकर आइंस्टीन को भेजा था। और उसे ब्रिटिश जर्नल मे छपने के लिए भेजा जहां इसे अस्वीकृत कर दिया गया उसके बाद उन्होंने इस पत्र को सीधा महान वैज्ञानिक आइंस्टीन के पास भेज दिया। शोध पत्र देखने के बाद आइंस्टीन ने कहा कि गणित क्षेत्र में यह पत्र एक महत्वपूर्ण योगदान है।
जर्मन भाषा में इसका अनुवाद कर ‘ जीट फार फिजिक्स ‘ नामक जर्नल में प्रकाशित करवाया। उसके बाद कई सिद्धांतों पर दोनों महान वैज्ञानिक मिलकर कार्य किए। क्वांटम ने इस शोध पत्र से भौतिकी में ‘बोस आइंस्टीन सांख्यिकी’एक नई शाखा का प्रतिपादन किया, जिसके द्वारा सभी प्रकार के बोसोन कणों के गुण धर्मों का पता लगाया जा सकता है।
इसके बाद सत्येंद्र नाथ बोस जी सन 1924 से लेकर सन 1926 यूरोप के दौरे पर रहे, इसी दौरान इन्होंने मेरी क्यूरी, हाइजेनबर्ग, पौली, और प्लैक जैसे महान वैज्ञानिकों के साथ कार्य किया। सत्येंद्र नाथ बोस जी बर्लिन में महान वैज्ञानिक आइंस्टीन से भी मिले, इसके बाद ये ढाका में 1926 में वापस चले गए, और ढाका विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के पद पर आवेदन किया। परंतु पी.एच.डी. नहीं होने के कारण इन्हें प्रोफेसर के पद पर नियुक्त नहीं किया गया। इसके बाद उन्होंने आइंस्टीन से प्रशंसा पत्र लिया जिसके आधार पर इन्हें नौकरी मिली।
1926 से 1945 तक ढाका में रहकर कार्य किए, और 1945 में कोलकाता वापस आ गए। कोलकाता के विश्वविद्यालय में भौतिकी प्रोफ़ेसर पद पर नियुक्ति हुई।
कोलकाता विश्वविद्यालय से सेवानिवृत्त होकर सन 1956 में शांति निकेतन चले गए। वहां ज्यादा दिन रुक नहीं पाए, और वापस कोलकाता 1958 में आ गए।
और इसी वर्ष सत्येंद्र नाथ बोस जी को राष्ट्रीय प्रोफेसर नियुक्त किया गया।
भारत सरकार ने उनके उत्कृष्ट उपलब्धि को ध्यान में रखते हुए, सत्येंद्र नाथ बोस जी को “पद्म भूषण” से सम्मानित किया।
सत्येंद्र नाथ बोस का योगदान और सम्मान-
सत्येंद्र नाथ बोस जी का भौतिकी और गणित में काफी महत्वपूर्ण योगदान है इसके साथ-साथ रसायन में भी महत्वपूर्ण योगदान है। सत्येंद्र नाथ बोस रसायन क्षेत्र में कार्य करते हुए सेल्फोसीटामाइड अणु आंतरिक परिवर्तन कर ऐसा रसायन बनाया कि आज भी लोगों की आंखों की दवा आइड्राफ के रूप में प्रचलित है। इन्होंने कई महान वैज्ञानिक खोजों पर कार्य और अनुसंधान किया और इसके अलावा कई सिद्धांत बनाएं और नई खोजें की हैं।
सत्येंद्र नाथ बोस जी के द्वारा शुरू किए गए कार्य क्षेत्र से संबंधित अनुसंधान के लिए कई वैज्ञानिकों को नोबेल पुरस्कार प्राप्त किए, लेकिन बॉस को स्वयं इस प्रतिष्ठित पुरस्कार से सम्मानित नहीं किया गया था। भारत के दूसरे सबसे सम्माननीय भारतीय भौतिक वैज्ञानिक सत्येंद्र नाथ बोस जी हैं।
सत्येंद्र नाथ बोस जी को समर्पित करते हुये रविंद्र नाथ टैगोर ने ‘विश्व परिचय पुस्तक’ को लिखा था। उनको भारत सरकार द्वारा सन् 1954 में सत्येंद्र नाथ बोस को पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।
सन 1959 में बोस जी को राष्ट्रीय प्रोफ़ेसर के बंद कर नियुक्त किया गया। सत्येंद्र नाथ बोस जी इस पद पर 15 साल तक बने रहे। सत्येंद्र नाथ बोस द्वारा भेजे गए पत्र को आइंस्टीन ने पढ़ा और पत्र को अहमियत देते हुए कहा कि यह पत्र गणित क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देगा और आइंस्टीन ने स्वयं जर्मन भाषा में इनके लेख का अनुवाद कर ‘जीट फर फिजिक’ नामक पत्रिका का प्रतिपादन किया। भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में इन्होंने कुल 24 लेख प्रकाशित करवाएं।
भारत सरकार ने सत्येंद्र नाथ बोस जी को राज्यसभा का सदस्य चुना। 1952 से सन 1956 तक राज्यसभा के सदस्य रहे, वैज्ञानिक बोस के साथ राजनेता भी थे।
सन 1956 से 1958 तक शांतिनिकेतन में विश्व भारती विश्वविद्यालय में कुलपति रहे।
वह इंडियन फिजिकल सोसाइटी व नेशनल इंस्ट्टियूट ऑफ साइंस (राष्ट्रीय विज्ञान संस्थान) के प्रमुख भी रह चुके हैं।
सत्येंद्र नाथ बोस की उपलब्धियां (Satyendra boss Achievements)
- भारत सरकार ने भौतिकी वैज्ञानिक सत्येंद्र नाथ बोस को पदम भूषण से सम्मानित किया।
- सत्येंद्र बोस के नाम पर ही एक सूक्ष्म परमाणु का नाम बोसान रखा गया और दूसरे परमाणु का नाम ‘फर्मीऑन’ रखा गया था।
- बोस-आइंस्टीन सांख्यिकी सिद्धांत सत्येंद्र नाथ बोस द्वारा प्रतिपादित किया गया है।
- बोस -आइंस्टीन कंडनसेट।
सत्येंद्र नाथ बोस का निधन (death)
सत्येंद्र नाथ बोस विश्वविद्यालय से आकाश ग्रहण करने के बाद लंदन की फैलो ऑफ रॉयल सोसाइटी में सन 1958 में इनको सम्मानित किया गया। 4 फरवरी, 1974 में हृदय गति रुक जाने के कारण महान भौतिकी वैज्ञानिक बोस जी की मृत्यु हो गई।
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