राष्ट्रीय युवा दिवस 2024 : स्वामी विवेकानंद द्वारा सिखाएं सफलता के मूल मंत्र (Swami Vivekananda Speech & Quotes in hindi, Swami Vivekananda Chicago Speech in hindi, Motivational Quotes in hindi)
भारत में हर साल 12 जनवरी का दिन राष्ट्रीय युवा दिवस (National Youth Day 2024) के रूप में मनाया जाता है। इसी दिन स्वामी विवेकानंद जयंती (Swami Vivekananda Jayanti 2024) भी मनाई जाती है।
स्वामी विवेकानंद जी एक ऐसे महान व्यक्तित्व थे तीनों ने संपूर्ण विश्व को भारतीय दर्शनिकता और आध्यात्मिकता का पाठ पढ़ाया था तथा भारतीय युवा शक्ति का लोहा मनवाया था।
स्वामी विवेकानंद जी को आज भी शिकागो के विश्व धर्म सम्मेलन में उनके शानदार भाषण के लिए याद किया जाता है। जब भी स्वामी विवेकानंद जी की बात की जाती है तो शिकागो विश्व धर्म सम्मेलन में उनके भाषण की चर्चा जरूर होती है। स्वामी विवेकानंद जी का यह भाषण एक ऐसा भाषण था जिसने संपूर्ण विश्व में भारतवर्ष की सभ्यता और संस्कृति को एक मजबूत छवि के साथ प्रस्तुत किया।
स्वामी रामकृष्ण परमहंस के शिष्य और हम सबके प्रेरणा स्रोत स्वामी विवेकानंद जी ने अपने जीवन में अध्यात्म की उन गहराइयों को छू लिया था साधारण मनुष्य जिनकी कल्पना भी नहीं कर सकता। इसीलिए स्वामी विवेकानंद जी को एक असामान्य पुरुष माना जाता था।
राष्ट्रीय युवा दिवस 2023 (National Youth Day 2024) और स्वामी विवेकानंद जयंती 2024 (Swami Vivekananda Jayanti 2024) के विशेष अवसर पर हम आपके लिए स्वामी विवेकानंद जी का शिकागो के विश्व धर्म सम्मेलन में दिया गया वह भाषण लेकर आए हैं, जिसने संपूर्ण विश्व में सनातन सभ्यता और संस्कृति का परचम लहरा दिया था।
इसके अलावा हम आपको National Youth Day 2024 के खास मौके पर विवेकानंद जी द्वारा दिए गए सफलता के उन मूल मंत्रों के बारे में भी बताएंगे जिनका अनुसरण करके लोग जीवन की दर्शनिकता और गुणवत्ता को समझ पाते हैं और सफलता की ओर अग्रसर होते हैं।
विषय–सूची
स्वामी विवेकानंद जी का भाषण और सफ़लता के मूलमंत्र (Swami Vivekananda Speech & Quotes in hindi)
स्वामी विवेकानंद जी का शिकागो विश्व धर्म सम्मेलन में भाषण (Swami Vivekananda Speech in Chicago World Religion Conference in Hindi)
स्वामी विवेकानंद जी ने 11 सितंबर 1893 को अमेरिका के शिकागो में आयोजित विश्व धर्म सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व किया था और एक जोरदार भाषण के साथ पश्चिमी देशों और पूरी दुनिया को भारतीय सनातन सभ्यता और संस्कृति का दर्पण दिखाया था।
कहा जाता है कि अपने भाषण में जब स्वामी विवेकानंद जी ने अमेरिका के लोगों को संबोधित करते हुए भाइयों एवं बहनों शब्द का प्रयोग किया तो पूरा कॉन्फ्रेंस हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज गया।
स्वामी विवेकानंद ने शिकागो के विश्व धर्म सम्मेलन में सम्बोधित करते हुये कहा?
अमेरिका के भाइयों और बहनों!
आप लोगों ने जिसे स्नेह के साथ मेरा जोरदार स्वागत किया है उससे मेरा ह्रदय भर आया है। मैं आप लोगों को दुनिया की सबसे प्राचीन संत परंपरा और सभी धर्मों की जननी सनातन संस्कृति की तरफ से धन्यवाद देता हूं और अपने लाखों-करोड़ों हिंदू भाई बहनों की तरफ से आप सब का आभार व्यक्त करता हूं।
इसके अलावा मैं उन सभी वक्ता गणों का भी धन्यवाद देना चाहता हूं जिन्होंने अपने भाषण में यह व्यक्त किया कि इस दुनिया में सहिष्णुता और सहनशीलता का भाव पूर्वी देशों से ही फैला है। मुझे स्वयं पर गर्व है कि मैं एक ऐसे धर्म से हूं जिसने दुनिया को सहिष्णुता और इसकी सार्वभौमिकता का पाठ पढ़ाया।
लेकिन हम केवल सार्वभौमिक सहिष्णुता पर ही विश्वास नहीं करते अपितु हम विश्व के सभी धर्मों को समान रूप से सत्य मानकर स्वीकार करते हैं। मुझे इस बात के लिए भी गर्व है कि मैं उस देश से आता हूं जहां दुनिया भर के देशों और धर्मों से सताए गए लोगों को संरक्षण और पनाह दी जाती है।
मुझे गर्व है कि हमने अपने ह्रदय में इसराइल की वह पवित्र स्मृतियां संजो कर रखी हैं जिनके धार्मिक स्थलों को रोमन आक्रमणकारियों ने तहस-नहस कर खंडहर बना दिया था तब जाकर उन्होंने दक्षिण भारत में शरण ली। मुझे इस बात का भी गर्व है कि हमने पारसी धर्म के लोगों को अपने देश में शरण दी और आज भी उन्हें पाल-पोष रहे हैं।
मैं इस विशेष मौके पर आप लोगों को एक श्लोक सुनाना चाहता हूं जो मैंने बचपन से लगातार स्मरण किया है और रोज़ करोड़ों लोग इसे दोहराते हैं। जिस तरह अलग-अलग स्रोतों से निकलकर नदियां अंततः समुद्र में विलीन हो जाती हैं ठीक उसी तरह मनुष्य अपनी इच्छा के अनुरूप अलग-अलग मार्ग (धर्म) चुनते हैं। यह मार्ग केवल देखने में भिन्न है लेकिन इनका ध्येय केवल एक है। यह सभी मार्ग ईश्वर तक ही जाते हैं।
वर्तमान सम्मेलन जिसे मैं आज तक की सबसे पवित्र सभाओं में से है वह स्वयं गीता के इस श्लोक का प्रत्यक्ष प्रमाण है। जो मुझ तक पहुंचता है फिर चाहे जैसा भी हो मैं उसे अपना लेता हूं। लोग अलग-अलग रास्ते चुनते हैं भटकते हैं परेशान होते हैं लेकिन आखिरकार मुझ में मिल जाते हैं।
सांप्रदायिकता कट्टरता और इनका वंशज धार्मिक हठ ने बहुत लंबे समय से संपूर्ण विश्व और पृथ्वी को जकड़ रखा है। इन चीजों ने संपूर्ण पृथ्वी को हिंसा से भर दिया है, ना जाने कितनी बार यह धरती लहू के रंगों में रंग चुकी है, न जाने कितनी सभ्यताएं और देश मिटाए जा चुके हैं।
अगर इस पृथ्वी पर सांप्रदायिकता कट्टरता और हठधर्मिता जैसे भयानक राक्षस नहीं होते तो आज मानव समाज मौजूदा स्थिति से काफी ज्यादा उन्नत होता। लेकिन अब उनका समय समाप्त हो चुका है और मैं आशा करता हूं कि आज इस पवित्र विश्व धर्म सम्मेलन का शंखनाद इन सभी सांप्रदायिकता कट्टरता और हठधर्मिता का नाश कर देगा, फिर चाहे हथियार तलवार हो या कलम।
यह लेख उस भाषण का प्रारूप है जिसे स्वामी विवेकानंद जी द्वारा शिकागो के विश्व धर्म सम्मेलन में दिया गया था।
स्वामी विवेकानंद द्वारा बताए गए सफलता के 20 मूल मंत्र (Swami vivekananda Quotes in hindi)
- एक समय में केवल एक दिशा में काम करो और इस काम में खुद को पूरा झोंक दो ताकि तुम्हें सिर्फ तुम्हारा उद्देश्य याद रहे बाकी सब भूल जाओ।
- इस ब्रह्मांड की सारी शक्तियां हमारी मुट्ठी में है लेकिन हम खुद ही अपनी आंख बंद कर लेते हैं और फिर अंधकार से डर कर रोते हैं।
- उठो जागो और तब तक प्रयत्न करते रहो जब तक अपने ध्येय को हासिल न कर लो।
- अगर जीवन में सफल होना है तो एक विचार निर्धारित करो और उसमें राम जाओ। केवल उसी के बारे में सोचो उसी के सपने देखो और उसी के लिए जियो। अपने शरीर और मस्तिष्क को उच्च विचार की भावनाओं में डूब जाने दो।
- व्यक्ति का सबसे बड़ा धर्म है स्वयं के प्रति ईमानदार होना। स्वयं को धोखे में मत रखो, सच की तलाश करो। अपने ऊपर सदैव विश्वास करो और अपने आत्मविश्वास को कमजोर मत होने दो।
- मस्तिष्क और ह्रदय की भावनाओं की टकरार में सदैव अपने हृदय की सुनो। और तत्काल निर्णय लेने की क्षमता रखो। निर्णय लेने के बाद उससे विमुख होना कायरता होती है इसीलिए निर्णय लेने के बाद पुनर्विचार मत करो बल्कि उस निर्णय को सही साबित करो।
- आत्मविश्वास की कमी व्यक्ति को कायर बना देती है। स्वयं पर अटूट विश्वास रखो।
- तुम्हें ना कोई कुछ न पढ़ा सकता है ना सिखा सकता है। तुम्हें सारी चीज है खुद से सीख नहीं होंगी, आत्मा से बड़ा शिक्षक कोई नहीं है।
- व्यक्ति का आचरण उसके बाहरी स्वरूप का निर्माण करता है। सुंदर आचरण के लोगों में सदैव सभ्यता झलकती है।
- शक्ति जीवन है जबकि निर्बलता मृत्यु, प्रेम जीवन है जबकि घृणा और ईर्ष्या मृत्यु, विस्तार ही जीवन है जबकि संकुचन सदैव मृत्यु की ओर होता है।
- जब व्यक्ति के सामने कोई समस्या आ खड़ी हो तो उसे समझ लेना चाहिए कि उसने गलत रास्ता और गलत निर्णय चुना है।
- व्यक्ति जैसा सोचता है वैसा ही बन जाता है। शक्ति खुद को सबल मानने से आती है जबकि खुद को निर्बल मानने न से केवल निर्बलता हाथ लगती है।
- ज्ञान रूपी प्रकाश में संसार के सभी अंधेरों को नष्ट कर देने की शक्ति होती है इसलिए ज्ञानी बनो और संसार के अंधेरों को दूर करो।
- व्यक्ति का भय और अधूरी वासनाएं हीं दुख का सबसे बड़ा कारण है। संसार में सुखी होना है तो अपने ही वासनाओं पर नियंत्रण करो और संतोष करना सीखो।
- जो स्वयं पर विश्वास नहीं करता वह सचमुच एक नास्तिक है जो ईश्वर पर भी विश्वास नहीं करता।
- सनातन संस्कृति आध्यात्मिकता की अजर, अमर आधार शिला है।
- व्यक्ति का सबसे बड़ा है साथी उसका श्रेष्ठ विचार होता है। जिस व्यक्ति के साथ श्रेष्ठ विचार होते हैं वह कभी खुद को अकेला महसूस नहीं करता।
- असंभव की सीमा को लांघना संभव की सीमा को जानने का एकमात्र तरीका है। दूसरे शब्दों में संसार में असंभव नाम की कोई भी चीज नहीं है।
- हर निर्णय को तीन परीक्षाओं से होकर गुजरना पड़ता है जिनमें उपहास, बाधाएं और स्वीकृति शामिल है। जिसने उपहास और विरोध की बाधाओं को पार कर लिया उसका निर्णय स्वीकृति को प्राप्त होता है।
- ईश्वर का निवास सजीव प्राणियों के ह्रदय में होता है उसकी तलाश कहीं और नहीं करनी चाहिए।
- हम दूसरों के साथ जितना अच्छा व्यवहार करते हैं हमारा हृदय उतना ही पवित्र होता जाता है। और ध्यान रखिए पवित्र ह्रदय में ही ईश्वर का निवास होता है जबकि अपवित्र ह्रदय में केवल राक्षस रह सकता है।
तो दोस्तों इस आर्टिकल के जरिए हमने आपको स्वामी विवेकानंद की शिकागो विश्व धर्म सम्मेलन में दी गई Speech और उनके द्वारा बताए गए सफलता के मूल मंत्र के बारे में बताया। उम्मीद करते हैं कि निश्चय ही इन मूल मंत्रों को जानने के बाद आपको इनसे प्रेरणा मिली होगी और आपको हमारा यह आर्टिकल भी पसंद आया होगा।
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