अक्सर जब भी कहीं किसी हवाई जहाज के साथ कोई दुर्घटना होती है तो इस दुर्घटना के जांच में जुटी हुई एजेंसियां सबसे पहले उस हवाई जहाज में लगे हुए ब्लैक बॉक्स (Black box in plane in hindi) की तलाश करती हैं ताकि यह पता लगाया जा सके की उस हवाई जहाज में दुर्घटना किस कारण से हुई।
तो दोस्तों आइए जानते हैं कि आखिर यह ब्लैक बॉक्स होता क्या है और हवाई जहाजों में इसका उपयोग क्यों किया जाता है।
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क्या होता है ब्लैक बॉक्स (What is Black box in plane in hindi)
दोस्तों क्या आपको पता है कि ब्लैक बॉक्स क्या होता है? (Kya hota hai black box) विमानों में लगाया जाने वाला ब्लैक बॉक्स (Black Box Flight recorder) विमान का एक अहम हिस्सा होता है जो हर तरीके के विमानों में लगा होता है फिर चाहे वह हवाई जहाज हेलीकॉप्टर हो या कोई फाइटर जेट।
दरसल ब्लैक बॉक्स हवाई जहाजों में लगाया जाने वाला एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस होता है जो हवाई जहाज के पिछले हिस्से पर जुड़ा रहता है।
हवाई जहाज के पिछले हिस्से में लगाइए ब्लैकबाग आसमान में हवाई जहाज के हर एक गतिविधि के आंकड़ों को रिकॉर्ड करता है।
ब्लैक बॉक्स एक एरोप्लेन में कुल मिला जुला कर 88 आंकड़ों की रिकॉर्डिंग करता है जिसमें दिशा गति ऊंचाई हलचल और ईंधन जैसे आंकड़े सुरक्षित होते हैं इसके अलावा इसी ब्लैक बॉक्स के जरिए एरोप्लेन के पायलट और को पायलट के बीच बातचीत भी संभव हो पाती है।
आखिर किस रंग का होता है ब्लैक बॉक्स ?
दोस्तों एक बार तो ब्लैक बॉक्स का नाम सुनने के बाद तो यही लगता है कि इसका रंग काला होगा लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है। दरअसल हवाई जहाजों में जिस ब्लैक बॉक्स का इस्तेमाल किया जाता है वह नारंगी रंग का होता है।
दरअसल इस ब्लैक बॉक्स का रंग नारंगी इसलिए रखा जाता है क्योंकि जब किसी हवाई जहाज के साथ दुर्घटना हो तो इसे जल्दी से रिकवर किया जा सके।
इसके नारंगी और आकर्षक होने के कारण दुर्घटना स्थल पर हवाई जहाज के क्षतिग्रस्त हिस्सों में से इसे आसानी से ढूंढ कर निकाला जा सकता है।
नारंगी होने के बावजूद इस डिवाइस को ब्लैक बॉक्स टर्म देने के पीछे ब्लैक हादसों के साथ इसका जुड़ा माना जाता है यही कारण है कि इसे ब्लैकबॉक्स बुलाया जाता है।
किसने और क्यों की ब्लैक बॉक्स की खोज –
बीसवीं शताब्दी के अंत तक हवाई जहाजों के और अन्य विमानों की संख्या में भारी बढ़ोतरी हुई जिससे उनके साथ दुर्घटनाओं की भी बढ़ोतरी होने लगी और दुर्घटना के बाद दुर्घटना के कारण के बारे में कोई भी जानकारी नहीं मिल पाती थी।
इसलिए विमानों के साथ होने वाली दुर्घटनाओं के कारण का पता लगाने के लिए इस डिवाइस का आविष्कार किया गया।
दरअसल इस डिवाइस को बनाने की कोशिश लगभग 1950 से ही शुरू हो गई थी लेकिन इस कोशिश को सन 1954 में कामयाबी मिली।
सन 1954 में आखिरकार एरोनॉटिकल रिसर्चर डेविड वॉरेन ने इस डिवाइस का अविष्कार किया था कि विमानों के साथ होने वाली दुर्घटनाओं के पीछे की वजह जानी जा सके।
जब इस बॉक्स की खोज की गई तब इस बॉक्स का रंग लाल था इसलिए शुरुआती दौर में इसे ‘रेड एग‘ कहा जाता था।
कैसे काम करता है? यह ब्लैक बॉक्स (What is black box how does it work)
यह ब्लैक बॉक्स टाइटेनियम मेटल से बनाया जाता है जोकि बहुत मजबूत होता है। बॉक्स में टाइटेनियम मेटल का उपयोग इसलिए किया जाता है ताकि दुर्घटना के बाद पानी में गिरने से आग लगने से इसे किसी प्रकार का नुकसान ना पहुंचे।
इस ब्लैक बॉक्स के अंदर दो तरीके के बॉक्स होते हैं जिनमें से एक को फ्लाइट डाटा रिकॉर्डर (Flight Data Recorder) और दूसरे को कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (Cockpit voice Recorder) कहा जाता है।
फ्लाइट डाटा रिकॉर्डर विमान की डाटा की रिकॉर्डिंग करता है जबकि कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर कॉकपिट के अंदर की वॉइस जैसे इंजन की आवाज इमरजेंसी अलार्म आदि को रिकॉर्ड करता है और सुरक्षित करता है।
हवाई जहाज के ब्लैक बॉक्स से जुड़ी खास बातें (Facts about Black Box in hindi)
1. इस ब्लैक बॉक्स को इतनी मजबूती से बनाया जाता है कि इस पर आग लगने का भी कोई असर नहीं होता ऐसा माना जाता है कि यह ब्लैक बॉक्स तकरीबन 1 घंटे तक 1000 डिग्री सेंटीग्रेड का तापमान सहन कर सकता है लेकिन जैसे-जैसे समय बढ़ता जाता है तापमान सहन करने की क्षमता भी घटती जाती है और उसके बाद आने वाले 2 घंटों में इसके तापमान सहने की क्षमता घटकर 260 डिग्री सेंटीग्रेड हो जाती है।
2. वैसे तो हवाई जहाज में लगाया गया ब्लैक बाक्स इलेक्ट्रिक एनर्जी लेकर काम करता है जिसे इलेक्ट्रिक कनेक्शन हवाई जहाज के इंजनों से उत्पन्न होने वाली बिजली से मिलता है लेकिन इसकी एक खास बात और है कि दुर्घटना के बाद हवाई जहाज में इलेक्ट्रिक सप्लाई बंद हो जाता है लेकिन उसके बाद भी यह ब्लैक बॉक्स 1 महीने तक बिना किसी इलेक्ट्रिक कनेक्शन के कार्य कर सकता है।
3. एक ब्लैक बॉक्स के रिकॉर्डिंग की छमता 25 घंटे से अधिक होती है यानी कि 25 घंटे से ज्यादा तक की जानकारियां जुटा सकता है।
4. जब कोई भी विमान दुर्घटनाग्रस्त होता है तो उस में लगे हुए ब्लैक बाक्स से एक विशेष तरह की आवाज़ निकलती है।
दरअसल इसे इस तरीके से इसलिए बनाया जाता है ताकि दुर्घटना के बाद जो एजेंसियां इस विमान की तलाश करें उनको इस विमान का पता लग जाए।
5. जब कभी भी दुर्घटना किसी समंदर के भीतर होती है तो भी है ब्लैक बॉक्स एक्टिव रहता है दुर्घटना के बाद भी इसकी खास बात यह है कि अगर यह समंदर के भीतर 20000 फीट की गहराई में भी चला जाए फिर भी इसमें से निरंतर आवाज निकलती रहती हैं और यह आवाज में कुछ ही समय के लिए नहीं निकलती बल्कि ऐसा महीनों तक होता रहता है इसकी यह खास बातें विमान को ढूंढने में हमारी मदद करती हैं।
हवाई जहाज में कहां लगाया जाता है ब्लैक बॉक्स –
अपनी ही सब खास फीचर्स की वजह से यह ब्लैक बॉक्स हवाई जहाज का एक इंपॉर्टेंट पार्ट होता है जिसे हर तरह के विमानों से लगाए रखा जाता है।
दोस्तों अब आप सोच रहे होंगे कि हवाई जहाज में यह ब्लैक बॉक्स किस जगह लगाया जाता है आपको बता दें कि आप ब्लैक बॉक्स खासकर विमान के पिछले हिस्से में लगाया जाता है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि जब कोई प्लेन दुर्घटना प्राप्त होती है तो उसके आगे वाले हिस्से ज्यादा क्षतिग्रस्त और प्रभावित होते हैं। हालांकि भले ही इस ब्लैक बॉक्स को मजबूती से बनाया जाता है लेकिन पूर्व उपाय के तौर पर पिछले हिस्से पर भी लगाया जाता है।
FAQ
प्रश्न- ब्लैक बॉक्स (Black Box) किस धातु का बनाया जाता है?
उत्तर- टाइटेनियम मेटल का बनाया जाता है।
प्रश्न- ब्लैक बॉक्स (Black box Flight Voice Recorder) के अविष्कारक कौन थे
उत्तर- सन 1954 में Aeronautical Researcher डेविड वॉरेन ने किया था।
प्रश्न- ब्लैक बॉक्स की खोज किसने की थी?
उत्तर- सन 1954 में एरोनॉटिकल रिसर्चर डेविड वॉरेन ने ब्लैक बॉक्स खोज की थी।
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