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Digital Signature क्या है? डिजिटल सिग्नेचर कैसे बनाये? | What is Digital Signature in hindi | How To Create Digital Signature in Hindi

डिजिटल सिग्नेचर क्या हैं? (What is Digital Signature in hindi) डिजिटल सिग्नेचर कैसे बनाये? (How To Create Digital Signature in Hindi) डिजिटल सिग्नेचर कैसे काम करता है? फायदे (Digital Signature kya hota hai, Kaise Banaya jata hai, Benefits of Digital Signature, Digital signature kaise banaye DSC)

जैसा कि हम सब जानते हैं, सिग्नेचर का मतलब क्या होता है। सिग्नेचर एक व्यक्ति विशेष का किसी भी दस्तावेज पर सहमति की लिखित फॉर्म में निशानी मानी जा सकती है। अर्थात कि जब हम किसी भी दस्तावेज पर अपनी सहमति देते हैं तो हम उसके नीचे अंगूठे से अथवा पेन के माध्यम से अपने विशिष्ट हस्ताक्षर करते हैं, इसका मतलब हम उस दस्तावेज पर अपनी सहमति दे रहे हैं। जैसे कि हम बैंक के चेक बुक में साइन करते हैं, या किसी सरकारी दस्तावेज में साइन करते हैं, बच्चों के रिज़ल्ट में साइन करते हैं। इस तरह वहां हम अपने सिग्नेचर के रूप में अपनी सहमति लिखते हैं।

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हमने कई बार देखा होगा कि हमारे सिग्नेचर का फर्जी रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है कई लोग ऐसे होते हैं जो हमारे सिग्नेचर की नकल निकालकर धोखाधड़ी वाले काम करते हैं। आमतौर पर आपने देखा होगा कि कई बार घर के बच्चे ही अपने माता पिता के सिग्नेचर की नकल निकालकर अपने रिजल्ट पर नकली सिग्नेचर कर स्कूल में सबमिट कर देते हैं, क्योंकि पेपर से की हुई सिग्नेचर को कॉपी करना कई बार बहुत ही आसान होता है और इसका वेरिफिकेशन करना भी नामुमकिन होता है।  यह तो हुई काफी छोटी सी बात परंतु कई बार हमारे बैंक में भी ऐसे फर्जीवाडे होते हैं जिसमें कई बार काफी मेहनत से कमाई गई रकम लूट ली जाती है या बैठे-बिठाए जमीनी दस्तावेजों पर नकली सिग्नेचर कर उन्हें हड़प लिया जाता है।

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 इस प्रकार के धोखाधड़ी से बचने के लिए तकनीकी क्रांति का इस्तेमाल कर डिजिटल सिग्नेचर का गठन किया गया है। डिजिटल सिग्नेचर में इस प्रकार की धोखाधड़ी करना लगभग नामुमकिन है क्योंकि डिजिटल सिगनेचर हर बार एक यूनिक आईडी से बनाई जाती है जिसमें यूनिक क्रिप्टोग्राफि का इस्तेमाल किया जाता है। ऐसे में इसे कॉपी करना और इसको कॉपी करके धोखाधड़ी करना नामुमकिन सा होता है।

डिजिटल सिग्नेचर क्या है? (What is Digital Signature in hindi)

डिजिटल सिगनेचर , सिग्नेचर करने का एक तरीका है जहां दो पार्टियां आपस में किसी दस्तावेज के लेनदेन में सिग्नेचर का इस्तेमाल करती हैं। यह पूरी तरह से डिजिटली तैयार किया जाता है जिसमें टेंपरिंग करना नामुमकिन होता है। इसमें बनाए गए दस्तावेज इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से बनाए जाते हैं तथा इसमें इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से ही दस्तावेज रिसीवर तक पहुंचाए जाते हैं। जब सेंडर इस दस्तावेज को बनाता है तब वह यह तय करता है कि यह डॉक्यूमेंट डिजिटल सिग्नेचर हो और जब रिसीवर के पास  डॉक्यूमेंट भेजे जाते है और रिसीवर जब इन डॉक्यूमेंट को खोलता है रिसीवर द्वारा इन डॉक्यूमेंट को खोलने पर यह document डिजिटल साइन हो जाते हैं। इस प्रकार ऐसे दस्तावेजों में किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी होने के चांसेस नहीं होते और सेंडर और रिसीवर दोनों में से कोई भी इन दस्तावेजों से इनकार नहीं कर सकता।

आमतौर पर डिजिटल सिग्नेचर का इस्तेमाल बड़ी कंपनियां फाइनेंशियल ट्रांजैक्शंस ,कांट्रैक्ट मैनेजमेंट सॉफ्टवेयर या फिर सॉफ्टवेयर डिस्ट्रीब्यूशन के लिए करती है। इसके अलावा आजकल वे सभी कंपनियां जिनका हेड ऑफिस किसी दूसरे शहर में है और उनमें काम करने वाले एंप्लॉई किसी दूसरे शहर में है ऐसे में एंपलॉयर्स और एंप्लॉई के बीच में होने वाले सिग्नेचर आजकल इसी डिजिटल सिगनेचर फॉर्म में पूरे किए जा रहे हैं। इन डिजिटल सिग्नेचर में किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ करना नामुमकिन होता है जिससे डिजिटली साइन किए गए डॉक्यूमेंट में किसी प्रकार की धोखाधड़ी नहीं हो पाती।

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डिजिटल सिग्नेचर कैसे बनाए जाते हैं? (Digital Signature kaise banaye)

डिजिटल सिगनेचर पब्लिक key क्रिप्टोग्राफी पर निर्भर होते हैं, इसे असिमिट्रिक क्रिप्टोग्राफी भी कहते हैं। जैसा कि हम सब जानते हैं क्रिप्टोग्राफी एक तरीके का कोड होता है जो एकदम यूनिक कोड होता है। हर बार क्रिप्टोग्राफी में एक नया यूनिक कोड जनरेट होता है या यूनिक कोड पब्लिक key एल्गोरिथ्म जैसे की RSA का इस्तेमाल कर key जनरेट करता है इनमें दो की जनरेट होती है एक होती है पब्लिक key और एक होती है प्राइवेट key, पब्लिक और प्राइवेट की आपस में मैथमेटिकली लिंक्ड होती है। इसी की मदद से डिजिटल सिगनेचर बनाया जाता है।

डिजिटल सिग्नेचर बनाने के लिए जिस साइनिंग सॉफ्टवेयर की मदद ली जाती है वह इलेक्ट्रॉनिक डाटा का इस्तेमाल कर एक हैश बनाता है फिर एक प्राइवेट key की मदद से इस हैश को क्रिप्टोग्राफी में बदला जाता है।  एक एनक्रिप्टेड हैश को दूसरे इंफॉर्मेशन हैश में मतलब की डिजिटल एल्गोरिदम में बदला जाता है जिसे हम डिजिटल सिगनेचर कहते हैं।

आमतौर पर डिजिटल सिग्नेचर डाक्यूमेंट्स में हैश को ही इंक्रिप्ट किया जाता है क्योंकि हैश इंक्रिप्शन काफी छोटा होता है और इससे समय की बचत होती है और यह अन्य किसी माध्यम की तुलना में काफी फास्ट होता है। इस फंक्शन के माध्यम से हमें आर्बिट्री इनपुट को फिक्स्ड वैल्यू में बदल सकते हैं। यह पूरी तरह से टेक्निकली काम करने वाले इंस्ट्रक्शन होते हैं जो कोडिंग के लिए इस्तेमाल लाए जाते हैं। हर बार इस हैश का वैल्यू एकदम अलग होता है। यदि इस हैश डाटा में जरा सा भी बदलाव आया तो आपको रिजल्ट में कुछ दूसरी वैल्यू दिखाई देती है जिससे कि आप आसानी से पता लगा सकते हैं कि इस दस्तावेज में छेड़छाड़ हुई है।

इस हैश क्रिप्टोग्राफी को पब्लिक key का उपयोग करके डाटा की इंटीग्रिटी और वैलिडेशन को सक्षम बनाया जाता है। अगर यह  डिक्रिप्टेड हैश दूसरे कंप्यूटेड हैश के साथ में मैच करता है तो हम यह बता सकते हैं कि डाक्यूमेंट्स में किसी प्रकार की छेड़छाड़ नहीं हुई है, परंतु यदि यह डिक्रिप्टेड हैश कंप्यूटेड हैश के साथ मैच नहीं करता है तो हम कह सकते हैं कि डॉक्यूमेंट में छेड़छाड़ की गई है और ऐसे डॉक्यूमेंट में भरोसा नहीं किया जा सकता।

आइये इसे उदाहरण के माध्यम से समझते हैं।

  • एक व्यक्ति X को कुछ डॉक्यूमेंट Y को भेजना है इस डॉक्यूमेंट को डिजिटल साइन करने की जरूरत है इसीलिए इसमें हैश फंक्शन को इस्तेमाल किया जा रहा है जिसमें से एक नंबर सिक्वेंस निकाला जाता है जिसे हैश कहते हैं। इसी को इंक्रिप्ट किया जाता है।  
  • प्राइवेट key के साथ इंक्रिप्ट करने के पश्चात सेंडर द्वारा यह डॉक्यूमेंट डिजिटाली साइन हो जाता है और यह डॉक्यूमेंट रिसीवर को भेज दिया  जाता है। 
  • रिसीवर को सेंडर द्वारा साइन किये डॉक्यूमेंट मिल जाने के बाद रिसीवर  को डॉक्यूमेंट चेक करने के लिए  कुछ जरूरी चीजें करनी होंगी जिससे कि डॉक्यूमेंट चेक और साइन हो जाए। 
  • सबसे पहले रिसीवर को डॉक्यूमेंट पर हैश फंक्शन इस्तेमाल करना पड़ेगा। 
  • हैश फंक्शन इस्तेमाल करने के पश्चात रिसीवर को इन डॉक्यूमेंट को डिक्रिप्ट करना पड़ेगा।
  • डिक्रिप्ट करने के लिए उसे public-key का इस्तेमाल करना पड़ेगा। 
  • रिसीवर सैंडर द्वारा भेजे गए प्राइवेट key के डॉक्यूमेंट और खुद के द्वारा डिक्रिप्ट किए गए पब्लिक key के डॉक्यूमेंट को कम्पेयर करेगा।
  • यदि दोनों की वैल्यू सम्मान निकलती है तो डॉक्यूमेंट पूरी तरह से ओरिजिनल है और यदि दोनों की वैल्यू समान नहीं निकलती है तो डॉक्यूमेंट में छेड़छाड़ की गई है।

क्या डिजिटल सिग्नेचर डॉक्यूमेंट पूरी तरह वैध है?

जी हां, डिजिटल सिग्नेचर डॉक्यूमेंट भारतीय कानूनी संविधान के अनुसार पूरी तरह से सर्टिफाइड माने जाते हैं। सेक्शन 3 इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी एक्ट 2000 के अनुसार डिजिटल सिग्नेचर डॉक्यूमेंट को लीगल डॉक्यूमेंट माना जाता है। साल 2008 में इस कानून को अपडेट किया गया जिसमें यह बताया गया कि यदि कोई सर्टिफाइंग अथॉरिटी डिजिटल सिग्नेचर इश्यू करती है तो यह पूरी तरह से वैध माने जाएंगे। सेंडर जब डॉक्यूमेंट भेजता है और रिसीवर कर लेता है तो इसे भी पूरी तरह से वैध की कैटेगरी में रखा जाएगा।

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डिजिटल सिग्नेचर के क्या-क्या फायदे है?

डिजिटल सिग्नेचर के फायदे निम्नलिखित हैं।

ऑथेंटिकेशन (Authentication):

जैसा कि हम सब जानते हैं डिजिटल सिगनेचर प्राइवेट key के साथ इस्तेमाल किए जाते हैं। यूजर के पास यदि प्राइवेट key एक्सेस है तो ही  डिजिटल सिगनेचर का इस्तेमाल कर पाएगा इसीलिए हम यह पता लगा सकते हैं कि इन डॉक्यूमेंट का असली मालिक कौन है ,इस प्रकार यह पूरी तरह से ऑथेंटिकेटेड डॉक्यूमेंट माने जाते हैं।

इंटीग्रिटी (Integration): 

डिजिटल सिग्नेचर ,डॉक्यूमेंट के छेड़छाड़ को भी पकड़ लेती है क्योंकि यह पूरी तरह से सॉफ्टवेयर जनरेटर आउटपुट होता है तो यदि इसमें किसी प्रकार की छेड़छाड़ की गई तो वह आसानी से पकड़ में आ जाती है।

नॉन रिपीटेशन (non-repetition):

हर बार हैश टेक्नोलॉजी एक नया यूनिक कोड डिजाइन करती है जिसकी वजह से सिग्नेचर में छेड़छाड़ करना नामुमकिन हो जाता है और सामान प्रकार की सिग्नेचर को फिर से रिपीट नहीं किया जा सकता इसीलिए हर एक डॉक्यूमेंट में किए सिग्नेचर की एक अलग वैधता होती है।

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नॉन डेनियल (Non Denial ):

यदि किसी यूजर के पास डिजिटल सिगनेचर किया हुआ डॉक्यूमेंट पहुंचता है और यूजर उसे पब्लिक key का इस्तेमाल कर साइन करता है तो एक बार public-key का इस्तेमाल करने के पश्चात यूजर मुकर नहीं सकता कि उसने इसमें साइन नहीं किए थे इस प्रकार यह पूरी तरह से वैध सिग्नेचर माने जाते हैं।

डिजिटल सिग्नेचर कितने प्रकार के होते हैं?

भारत में फिलहाल तीन प्रकार के डिजिटल सिग्नेचर जारी किए गए हैं । इन तीनों डिजिटल सिग्नेचर का उद्देश्य और उपयोग एकदम भिन्न है।

क्लास वन डिजिटल सिग्नेचर (Class One Digital Signature): क्लास वन डिजिटल सिग्नेचर किसी भी व्यक्ति द्वारा किसी भी व्यक्ति को जारी किया जा सकता है। इसका उपयोग केवल ईमेल एड्रेस को ऑथेंटिकेट करना होता है। इसके द्वारा हस्ताक्षरित किए हुए दस्तावेज वैधानिक रूप से सही नहीं माने जाते।

क्लास 2 डिजिटल सिगनेचर (Class Two Digital Signature):  इसे मिनिस्ट्री ऑफ कॉर्पोरेट अफेयर्स और सेल्स टैक्स और इनकम डिपार्टमेंट के ऑनलाइन फॉर्म भरने के लिए इस्तेमाल  किया जाता है। इसे वैध प्रकार के डिजिटल सिग्नेचर माना जाता है।

क्लास 3 डिजिटल सिगनेचर (Class Three Digital Signature): क्लास 3  डिजिटल सिगनेचर इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स और ट्रेडिंग में इस्तेमाल किए जाते हैं। यह पूरी तरह से वैध दस्तावेज माने जाते हैं क्योंकि इसमें पब्लिक key और प्राइवेट key का इस्तेमाल किया जाता है।

डिजिटल सिग्नेचर का इस्तेमाल कौन करता है?

  • डिजिटल सिग्नेचर का इस्तेमाल आमतौर पर कंपनी के डायरेक्टर 
  • चार्टर्ड अकाउंटेंट 
  • ऑडिटर
  • कंपनी के सीईओ 
  • बैंक के वरिष्ठ अधिकारी इस्तेमाल करते हैं।

डिजिटल सिग्नेचर कैसे किया जाता है? (How To Create Digital Signature in Hindi)

 डिजिटल सिग्नेचर करने के लिए आपको निम्नलिखित स्टेप्स फॉलो करने पड़ते हैं।

  • सबसे पहले आपको एडोब साइन डैशबोर्ड को ओपन करना होता है।
  • यहां आपको  साइन के ऑप्शन को चुनना  होता है ।
  • इसके पश्चात आपको उस डॉक्यूमेंट को ओपन करना होता है जहां आपको सिग्नेचर करना है।
  • इसके बाद आपको साइन इन पर क्लिक कर सिग्नेचर ऐड करना होता है।
  • इसके बाद आपको विकल्प को चुनना होता है कि आपको  डिजिटल सिगनेचर किस प्रकार अप्लाई करना है।
  • आप क्लाउड सिगनेचर का इस्तेमाल कर सकते हैं या डिजिटल आईडी के माध्यम से भी सिग्नेचर कर सकते हैं।
  •  इसके पश्चात आप डॉक्यूमेंट को डाउनलोड कर सकते हैं और आप चाहे तो डाउनलोड किए डॉक्यूमेंट के पीडीएफ पर भी सिग्नेचर कर सकते हैं।
  • यदि आपने क्लाउड सिग्नेचर का तरीका चुना  है तो आपको dropdown-menu मैसेज में से डिजिटल आईडी सर्टिफाइड प्रोवाइडर को सिलेक्ट करना होगा।
  • इसके पश्चात आपको न्यू डिजिटल आईडी प्राप्त करनी होगी।
  • इसके बाद आपको दिए गए लिंक पर क्लिक करना होगा।
  • लिंक पर क्लिक करने के पश्चात आपको अपनी लॉगिन डिटेल भरनी होंगी।
  • लॉगिन डिटेल भरने के पश्चात आपको वेरिफिकेशन के लिए कहा जाएगा जहां आपको ओटीपी भरना होगा।
  • ओटीपी भरते ही आप इस डिजिटल डॉक्यूमेंट पर साइन कर चुके होंगे।
  • आप चाहे तो डिजिटल सिगनेचर को प्रीव्यू कर सकते हैं।
  •  इस प्रकार आप अपने डॉक्यूमेंट को डिजिटल ही साइन करने की प्रक्रिया पूरी कर लेते हैं।

FAQ

डिजिटल सिग्नेचर कितनी एजेंसी हैं?

डिजिटल सिग्नेचर जारी करने के लिए तीन लाइसेंस सर्टिफाइड एजेंसीया है की e-mudhra.com 
enscript.com , ncodesolutions.com

डिजिटल सिग्नेचर कौन जारी कर सकता है

डिजिटल सिगनेचर भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 की धारा 24 के अंतर्गत सर्टिफाई अथॉरिटी (CA) ही डिजिटल सिगनेचर जारी कर सकता है।

Digital Signature किस टेक्नोलॉजी पर काम करता है

डिजिटल सिगनेचर क्रिप्टोग्राफी टेक्नोलॉजी पर काम करता है।

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