नासा का आर्टेमिस मिशन क्या है? आइये जाने इसके बारें में संपूर्ण जानकारी व रोचक तथ्य (Artemis-1 Moon Mission Full Details & Facts in Hindi)
16 नवंबर 2022 को आखिकार लांच कर दिया गया है इससे पहले तीन बार तकनीकी खराबी के कारण इसको रोक दिया गया था। केनेडी स्पेस फलोरिडा सेंटर से सफलतापूर्वक लांच किया गया। यह 50 सालों में नासा द्वारा चंद्रमा का सबसे बड़ा मिशन हैं।
अब तक इस दुनिया के 12 अंतरिक्ष यात्रियों ने चंद्रमा की सतह पर कदम रखा है। 1972 NASA के अपोलो 17 मिशन के दौरान यूजीन सेरनन चंद्रमा की सतह पर अपने कदमों की छाप छोड़ने वाले आखरी अंतरिक्ष यात्री थे। लेकिन इस मिशन की कामयाबी के बाद चंद्रमा पर इंसानों की दस्तक का सिलसिला जैसे रुक सा गया क्योंकि अपोलो 17 मिशन के बाद कोई भी मानवयुक्त यान चंद्रमा की सतह पर नहीं उतारा गया। तब से अब तक इन 50 सालों में कोई भी अंतरिक्ष यात्री चंद्रमा पर नहीं गया।
लेकिन NASA ने आर्टेमिस-2 मून मिशन के जरिए एक बार फिर से अपने अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा की सैर कराने के लिए कमर कस ली है। लेकिन इस मिशन की खास बात यह है कि इसके जरिए पहली बार कोई महिला अंतरिक्ष यात्री चांद की सतह पर अपने कदम रखेगी।
चंद्रमा पर अंतरिक्ष यात्रियों की दीर्घकालिक उपस्थिति के लिए नासा द्वारा तैयार किए गए आर्टेमिस मिशन की श्रृंखला में पहला कदम आर्टेमिस-1 मून मिशन का होगा।
आर्टेमिस-1 एक मानवरहित चंद्र मिशन है जिसके जरिए NASA द्वारा स्पेस लॉन्च सिस्टम (SLS) रॉकेट और ओरियन क्रू कैप्सूल का विधिवत परीक्षण किया जाएगा ताकि सफलतापूर्वक इस पूरे मिशन श्रृंखला को अंजाम दिया जा सके।
तो आइए आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको NASA के आर्टेमिस-1 चंद्र मिशन और इससे जुड़े रोचक तथ्यों (Artemis-1 Moon Mission Details and Facts in Hindi) के बारे में बताएंगे।
विषय–सूची
आर्टेमिस 1 के बारें में पूर्ण जानकारी (Artemis-1 Moon Mission Details & Facts in Hindi)
नासा का आर्टेमिस मिशन क्या है?
Artemis – 1 mission NASA द्वारा लगभग 5 दशक के बाद किया जाना है। यह मिशन मनुष्य को चंद्रमा की यात्रा करवा कर वापस धरती पर लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास होगा। यह यात्रा Orion Crew Capsule और Space Launch System के लिए एक महत्वपूर्ण यात्रा होने वाली है। यह अंतरिक्ष यान जब चाँद तक पहुंचेगा तो कुछ छोटे satellites को उसकी कक्षा में छोड़ेगा और स्वयं कक्षा में ही स्थापित हो जाएगा।
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नासा का आर्टेमिस मिशन-1 का क्या उद्देश्य है?
नासा के Artemis 1 mission का उद्देश्य operational training प्राप्त करना और चांद के आसपास अंतरिक्ष यात्री कैसा महसूस करते हैं या किस तरह के हालात है, इसकी जांच करना है।
इस मिशन का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना भी है कि अंतरिक्ष यान और अंतरिक्ष यान में सवार सभी अंतरिक्ष यात्री सुरक्षित तरीके से धरती पर वापस लौट सकें।
तीन हिस्सों में पूरा होगा आर्टेमिस मिशन
आर्टेमिस अभियान 3 चरणों में पूरा होना है। इसके अंतिम चरण का लक्ष्य चांद पर इंसानों को लंबे समय के लिए ठहराना है। यह अभियान बहुत ही खास होने वाला है। इस अभियान मे कोई भी क्रू सदस्य नहीं होगा।
इस अभियान में NASA अपने द्वारा बनाए गए नए space launch system के नाम के रॉकेट का प्रशिक्षण भी करने वाली है और इसी के साथ पहली बार ओरियन क्रू कैप्सूल का प्रशिक्षण भी होगा।
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NASA Artemis Mission कैसे होगा Launch?
जब rocket लांच किया जाएगा अर्थात लांच के समय रॉकेट के पांच बूस्टर और चार RS – 25 इंजन लगभग 39 लाख किलो से भी अधिक का force पैदा करेंगे। लॉन्च करने के कुछ ही समय बाद लॉन्च अबो्र्ट सिस्टम और सर्विस मॉड्यूल भी active हो जाएंगे। जिससे core इंजन बंद हो जाएंगे और कोर चरण रॉकेट से separate हो जाएगा।
यह रॉकेट लॉन्च होने के बाद पृथ्वी से चंद्रमा की और बढ़ेगा। इसके बढ़ने की प्रक्रिया कुछ इस तरह से होगी कि लॉन्च होने के बाद यह अंतरिक्ष यान पहले पृथ्वी का चक्कर लगाएगा ताकि इसके सौर पैनल अपना काम करना शुरू कर दें।
इसके बाद ऑर्गन क्रु कैप्सूल को Interim cryogenic propulsion stage के द्वारा धक्का दे दिया जाएगा जिससे वह earth orbit से बाहर चला जाएगा और वह चाँद की ओर बढ़ने लगेगा।
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रॉकेट के द्वारा 6 सप्ताह तक चांद की परिक्रमा–
रॉकेट 6 हफ्ते तक चांद के ऑर्बिट में उसके चक्कर लगाता रहेगा और आंकड़ों को इकट्ठा करके पृथ्वी की तरफ वापस लौटेगा। इस तरह से 6 हफ्ते की यात्रा करके यह अंतरिक्ष यान पृथ्वी के ऑर्बिट में वापिस प्रवेश करेगा और कैलिफोर्निया के तट पर कड़ी निगरानी में निर्धारित लोकेशन के पास समुद्र में उतरेगा।
ऐसा कहा जा रहा है कि यह रॉकेट एक नया युग लाएगा। वास्तव में, यह एक शक्तिशाली एसएलएस रॉकेट का प्रशिक्षण होने वाला है। जो मुख्य रूप से चांद जैसे अभियान के लिए भारी-भरकम यान और पर्याप्त ईंधन के लिए ही डिजाइन किया गया है। इससे पहले जितने भी चंद्रयान भेजे गए हैं उनके लिए सैटर्न V का प्रयोग किया गया था। इसीलिए इस रॉकेट को कहा जा रहा है कि यहाँ से एक नई पीढ़ी के रॉकेट की शुरुआत होने वाली है।
ऐसे दावा किया जा रहा है कि यदि यह अभियान सफल हो जाता है तो यह अंतरिक्ष अनुसंधान में तेजी लाने का कार्य करेगा। इस अभियान से अन्य भी कई अभियान जुड़े हैं, जिसके जरिए NASA चांद पर एक permanent base बनाने की शुरुआत करेगा। यदि यह base बन जाता है तो इसका उपयोग आने वाले समय में मंगल पर जाने वाले मनुष्य अभियान के लिए किया जाएगा और साथ ही यह अन्य लंबे अंतरिक्ष अभियानों के लिए भी उपयोगी साबित होगा।
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आर्टेमिस 2024 के जरिए चंद्रमा पर भेजी जाएगी पहली महिला अंतरिक्ष यात्री –
इस mission के बाद आर्टेमिस 3 मिशन मानव मिशन होगा। जिसमें चांद पर जाने वालों मे कम से कम एक महिला होगी और यह भी हो सकता है कि अंतरिक्ष यात्री एक या एक से अधिक अश्वेत भी हो। ताकि इस अंतरिक्ष कार्यक्रम से सभी युवा नासा के प्रति प्रेरित हो सके। उनके अंदर भी यह जुनून हो कि “यदि मेरे जैसे दिखने वाला यात्री यह कर सकता है, तो मैं भी यह कर सकता हूं।“
आर्टेमिस मिशन से जुड़े रोचक तथ्य (Artemis Mission And Artemis-1 Moon Mission Facts In Hindi)
- आर्टेमिस मिशन लंबे समय तक अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर रखने वाला पहला मिशन होगा। हालांकि इससे पहले जितने भी मून मिशन को अंजाम दिया गया है उस दौरान अंतरिक्ष यात्रियों ने केवल कुछ घंटे ही चंद्रमा पर बिताए हैं।
- आर्टेमिस मिशन इसलिए भी खास है क्योंकि इसके जरिए पहली बार कोई महिला अंतरिक्ष यात्री चंद्रमा की सतह पर कदम रखेगी।
- Artemis Mission एक तरह की मिशन श्रृंखला है जिसकी पहली कड़ी आर्टेमिस-1 मिशन है। इस मिशन को तीन चरणों में अंजाम दिया जाएगा।
- इस मिशन के जरिए अंतरिक्ष यात्रियों को लंबे समय तक टिकने के लिए लूनर बेस बनाया जाएगा ताकि चंद्रमा पर आकर अंतरिक्ष यात्री बारीकी से अध्ययन कर सकें।
- आर्टेमिस मिशन के जरिए नासा द्वारा भेजे गए अंतरिक्ष यात्रियों के जरिए चंद्रमा की माइनिंग की जाएगी।
- चंद्रमा की सतह पर सिलिकॉन, प्लेटिनम और टाइटेनियम जैसे बेशकीमती खनिज उपलब्ध हैं जिनकी माइनिंग की जाएगी।
- इस मिशन के जरिए तकरीबन 50 साल बाद कोई अंतरिक्ष यात्री चंद्रमा की सतह पर कदम रखेगा क्योंकि इससे पहले साल 1972 में अपोलो 17 अंतरिक्ष यान से यूजीन सेरेनन चंद्रमा पर आखिरी बार अपने कदमों की छाप छोड़ी थी।
- विशेषज्ञों की मानें तो NASA का यह आगामी मिशन अब तक का सबसे महत्वपूर्ण मिशन होगा।
- आर्टेमिस नाम ग्रीस की पौराणिक कथाओं से संबंध रखता है। दरअसल यूनान के पौराणिक कथाओं के मुताबिक आर्टेमिस अपोलो की जुड़वा बहन थी जिसे चंद्रमा की देवी माना जाता है।
- अमेरिका की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस पूरे मिशन को अंजाम देने में तकरीबन 93 बिलियन डालर का खर्च आएगा जिसकी कीमत भारतीय रुपए में 7434 अरब होगी।
- आर्टेमिस मिशन की श्रृंखला में पहला मिशन आर्टेमिस वन मून मिशन होगा जो मानव रहित होगा।
- इस श्रृंखला का दूसरा मिशन आर्टेमिस-2 होगा जिसके जरिए अंतरिक्ष यात्री चंद्रमा की कक्षा में तो जाएंगे लेकिन वहां उतरेंगे नहीं। वह अंतरिक्ष यान की कक्षा में रहकर ही चंद्रमा का अध्ययन करेंगे।
- इस श्रृंखला की सबसे आखरी कड़ी आर्टेमिस-3 मून मिशन होगी। इसी मून मिशन के जरिए पहली बार कोई महिला अंतरिक्ष यात्री चंद्रमा पर कदम रखेगी।
FAQ
आर्टेमिस-1 क्या है?
आर्टेमिस-1 NASA का मानव रहित मून मिशन है जो आर्टेमिस मिशन श्रृंखला की सबसे पहली कड़ी है।
आर्टेमिस मिशन कब लांच किया जाएगा?
इसकी पहली कड़ी Artemis-1 को साल 16 नवंबर 2022 में किया गया है। नासा द्वारा साल 2024 में आर्टेमिस मिशन-2 को अंजाम दिया जाएगा जिसके जरिए पहली बार महिला अंतरिक्ष यात्री चंद्रमा पर उतरेगी।
आर्टेमिस मिशन की लागत कितनी है?
एक अमेरिकी रिपोर्ट के मुताबिक आर्टेमिस मिशन की कुल लागत तकरीबन 93 बिलियन डालर के करीब होगी।
आर्टेमिस मिशन का उद्देश्य क्या है ?
आइटम इस मिशन का मुख्य उद्देश्य लंबे समय तक अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा की सतह पर रहने के लिए लूनर बेस की स्थापना करना है। इसके अलावा इस मिशन के जरिए चांद की माइनिंग भी की जाएगी।