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ISRO क्या है? इसरो के बारें में रोचक तथ्य | Indian Space Research Agency ISRO Facts and History in hindi

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो का इतिहास एवं रोचक तथ्य (ISRO Facts and History in hindi, ISRO New upcoming Missions, ISRO Full form in hindi)

ISRO दुनियां की सबसे बड़ी स्पेस एजेंसियों में से एक है जिसने अपने मिशन की शुरुआत जमीनी स्तर से की। यहां तक कि शुरुआती दौर में इसरो ने मिसाइलों को ले जाने के लिए साईकिल बैलगाड़ी और जीप जैसे साधनों का इस्तेमाल किया क्योंकि उस समय इसरो के पास साधन उपलब्ध नहीं थे।

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इतना ही नहीं ISRO ने महज ₹12 प्रति किलोमीटर की दर से मंगलयान को मंगल की कक्षा में भेजकर स्थापित किया जोकि टैक्सी के किराए के जितना है। इसरो ने महज 450 करोड रुपए के बजट में अपने मंगल मिशन को अंजाम दिया था जो अब तक का सबसे सस्ता स्पेस मिशन है।

भारत की आधिकारिक स्पेस एजेंसी इसरो ISRO लगातार अंतरिक्ष कार्यक्रमों पर काम कर रही है। ISRO दुनियां की बेहतरीन और सबसे बड़ी सरकारी स्पेस एजेंसियों में पांचवें स्थान पर है। ISRO एक सरकारी स्पेस एजेंसी है जो भारत सरकार के अधीन है।

तो आइए आज इस आर्टिकल के जरिए हम ISRO की स्थापना, स्पेस प्रोग्राम और इससे जुड़े हुए रोचक तथ्यों के बारे में जाते हैं।

आइये जाने-

ISRO क्या है? (ISRO Facts and History in hindi)

ISRO का पूरा नाम Indian Space Research Organization भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र है। इसका मुख्यालय कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में स्थित है।

ISRO की स्थापना 15 अगस्त 1969 को स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष में भारतीय वैज्ञानिक विक्रम साराभाई ने की थी। हालांकि ISRO की नींव स्थापना के 7 वर्ष पूर्व ही सन 1962 में INCOSPAR Indian National Committee For Space Research के रूप में पड़ गई थी।

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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र भारत सरकार के अंतरिक्ष विभाग के अधीन कार्य करती है और लगातार अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में आगे बढ़ रही है। इसरो इस समय दुनिया की सबसे बड़ी सरकारी अंतरिक्ष संस्थाओं में से एक है जिसे वर्ल्ड रैंकिंग में पांचवां स्थान प्राप्त है। तो आइए अब ISRO से जुड़े हुए कुछ रोचक तथ्यों के बारे में जानते हैं।

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ISRO से जुड़े रोचक तथ्य (Interesting Facts about ISRO in hindi)

  1. इसरो की स्थापना 15 अगस्त 1969 को स्वतंत्रता दिवस के दिन भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक कहे जाने वाले वैज्ञानिक विक्रम साराभाई ने की थी।
  2. शुरुआत में INCOSPAR Indian National Committee For Space Research की स्थापना 1962 में भारत सरकार द्वारा की गई जिसके चेयरमैन विक्रम साराभाई बने। बाद में इसी स्पेस एजेंसी का नाम बदलकर ISRO कर दिया गया। ISRO Full Form का फुल फॉर्म Indian Space Research Organisation है।
  3. भारत सरकार के अधीन है जो अपना विवरण सीधे भारतीय प्रधानमंत्री को भेजती है।
  4. डॉ राधाकृष्णन ने इसरो को आदर्श वाक्य देने के लिए मानव जाति की सेवा में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का प्रयोग किया।
  5. अपनी स्थापना के बाद से अब तक भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र ने कुल 36 देशों के 347 उपग्रह तथा भारतीय मूल के 129 उपग्रहों का प्रक्षेपण किया है।
  6. इसरो द्वारा लांच किया गया पहला उपग्रह आर्यभट्ट था जिसे 19 अप्रैल 1975 को रूस की सहायता से लांच किया गया था।
  7. इसरो द्वारा भारत का पहला स्वदेशी उपग्रह डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के निर्देशन में लांच किया गया था जिसका नाम SLV-3 था।
  8. शुरुआती दौर में संसाधनों की कमी होने के नाते राकेट को साईकिल पर ले जाया जाता था।
  9. साल 1981 में लांच किए गए एप्पल सैटेलाइट को बैलगाड़ी पर ले जाया गया था।
  10. 22 अक्टूबर 2008 को इसरो ने चंद्रयान -1 लांच किया था जो अपने मिशन में लगभग 95% सफल रहा लेकिन भारतीय वैज्ञानिकों का संपर्क इससे टूट गया। जिस कारण चंद्रयान -2 को पुनः लांच करना पड़ा।
  11. इसरो के कमर्शियल डिवीजन का नाम ANTRIX है बोर्ड ऑफ डायरेक्टर भारत के 2 बड़े उद्योगपति टाटा ग्रुप के प्रमुख रतन टाटा तथा गोदरेज ग्रुप के प्रमुख जमशेद गोदरेज हैं।
  12.  ANTRIX की सहायता से ही शुरु को दूसरे देशों में पहुंचाया गया है।
  13. इसरो द्वारा बनाए गए पहले स्वदेशी राकेट का नाम रोहिणी RH-75 था।
  14. इस समय इस रूम में कुल मिलाकर 17000 से अधिक कर्मचारी और वैज्ञानिक कार्य करते हैं।
  15. इसरो से जुड़ी सबसे मजेदार बात तो यह है कि इसके ज्यादातर कर्मचारी बैचलर यानी की कुंवारे हैं जो पूरी निष्ठा और जुनून के साथ भारत के सपनों को साकार करने में जुटे हुए हैं।
  16. इसरो ने गूगल अर्थ के इंडियन वर्जन का निर्माण भी किया है जिसे भुवन नाम दिया गया है।
  17. शोध के मुताबिक इसरो का कुल बजट केंद्र सरकार के खर्च का 0.34% है जबकि भारत की जीडीपी का केवल 0.8 फ़ीसदी है।
  18. हैरान करने वाली बात यह है कि इसरो ने विगत 40 वर्षों में जितना खर्च किया है वह नासा के 1 साल के खर्च का आधा है।
  19. इसरों ने 2017 में एक साथ 104 सेेटेलाइट PSLV-C37 से लांच करके एक नया वर्ल्ड रिकार्ड बनाया था इससे पहले रुस ने 37 सेटेलाइट्स को एक साथ लांच किया था।
  20. 26 मार्च 2023 को इसरो ने भारत का सबसे बड़ा रॉकेट लॉन्च व्हीकल मार्क 3 (LVM-3) लॉन्च किया जिसके साथ 36 वनवेब उपग्रह सैटेलाइट को अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया गया। यह उपग्रह ब्रिटेन की एक कम्पनी के 36 सैटेलाइट लेकर प्रक्षेपित किया गया है।
  21. ISRO अपने आगामी गगनयान और आदित्य L1 मिशन पर काम कर रहा है।

इन्हें भी पढ़ें – अंतरिक्ष के बारे में अद्भुत एवं रोचक तथ्य

ISRO के प्रमुख मिशन –

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र लगातार अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी की दुनिया में सफलताएं हासिल कर रहा है। इसरो ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में ऐसी उपलब्धियां हासिल की है जो अभी तक अमेरिका रूस और चीन जैसे प्रौद्योगिकी संपन्न देशों को भी नहीं मिली।

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मंगलयान मिशन –

इसरो का मंगलयान मिशन अब तक का सबसे सस्ता स्पेस मिशन है जिसमें महज 450 करोड़ों रुपए की लागत लगी। भारत पहला ऐसा देश है जो अपने पहले प्रयास में ही मंगल ग्रह की कक्षा में अपना उपग्रह स्थापित करने में सफल रहा। जबकि इस प्रयास में संयुक्त राज्य अमेरिका 5 बार और सोवियत संघ रूस 8 बार असफल रहा। इसके अलावा चीन और जापान जैसे एशियाई देशों को अब तक इस क्षेत्र में सफलता नहीं मिली जबकि भारत ने यह कर दिखाया और इसी के साथ भारत एशिया का पहला ऐसा देश है जिसने मंगल की कक्षा में अपना उपग्रह स्थापित किया है।

मंगलयान मिशन सबसे सस्ता स्पेस मिशन था जिसमें महज ₹12 प्रति किलोमीटर की दर की लागत से मंगलयान को मंगल ग्रह की कक्षा में स्थापित किया गया।

चंद्रयान द्वितीय-

चंद्रयान द्वितीय भारत का दूसरा अन्वेषण अभियान था जिसे चंद्रयान प्रथम की असफलता के बाद अंजाम दिया गया।

22 जुलाई साल 2019 को चंद्रयान 2 लांच किया लेकिन लैंडिंग करते समय चंद्रयान द्वितीय का लैंडर विक्रम क्षतिग्रस्त हो गया जिसके कारण भारतीय स्पेस एजेंसी का संपर्क टूट गया। हालांकि इस असफलता के बाद भी एक नई उपलब्धि भारत के हाथ लगी। चंद्रयान 2 के लंच के बाद भारत चंद्रमा की कक्षा में सबसे दूर उपग्रह भेजने वाला देश बन गया है इसके अलावा भारत के हाथ चंद्रमा से जुड़ी कई ऐसी जानकारियां लगी हैं जो अब तक अन्य देशों को नहीं मिली।

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चंद्रयान 3 मिशन-

चन्द्रयान-3 मिशन को 14 जुलाई के दिन दोपहर 2 बजकर 35 मिनट पर हरिकोटा लांच स्टेशन से किया गया था। जोकि अपने निर्धारित समय में 40 दिनों की लंबी यात्रा करते हुये दिनांक 23 अगस्त को चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक लैंड हो गया। इस मिशन का मुख्य उद्देश्य चन्द्रयान मिशन-2 के अधूरे कार्यो को पूर्ण करना है। इसकेें लैंडर का नाम विक्रम रखा गया है जिसमें रोवर लगे हुये है जिसका नाम प्रज्ञान रखा गया है। यह चन्द्रमा की जलवायु, खनिज पदार्थ व मिट्टी का अध्यय करके जरुरी जानकारी जुटाना है।

गगनयान-

गगनयान भारत का पहला ह्यूमन स्पेस मिशन है जिसका पहला प्रायोगिक परीक्षण साल 2014 में किया गया था। गगनयान को पृथ्वी की निचली कक्षा में भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों के साथ 2022 में ही भेजा जाना था लेकिन कोविड संक्रमण की समस्या की वजह से इसे 2023 तक टाल दिया गया है और अब 2023 में इसे अंजाम दिया जाएगा।

यह भारत का पहला स्वदेशी निर्मित मानव युक्त अंतरिक्ष यान है जिसमें तीन अंतरिक्ष यात्री यात्रा कर सकते हैं। गगनयान मिशन को अंजाम देने के लिए लगभग 10 हजार करोड़ का लागत बजट है। गगनयान मिशन को लेकर पूरे दुनिया की नजर भारत पर टिकी हुई है।

आइये जाने – गगनयान मिशन क्या है? इसकी खास बातें

ISRO के आगामी मिशन –

इसरो इस समय अपने कई आगामी मिशन में जुटा हुआ है जिनमें से गगनयान और आदित्य लोन मिशन सबसे प्रमुख हैं इसके अलावा शुक्रयान जैसे मिशन भी शामिल हैं।

गगनयान मिशन – 1

गगनयान इसरो के आगामी कार्यक्रमों में से सबसे प्रमुख है जिसके अंतर्गत इसरो पहली बार मानवयुक्त अंतरिक्ष यान भेजेगा। गगनयान इसरो का अब तक का सबसे बड़ा मिशन है जिस की लागत खर्च लगभग 10000 करोड रुपए है और भारत की अन्य वैज्ञानिक संस्थाओं जैसे कि DRDO और CSIR की सहायता से इसकी तैयारियां की जा रही हैं। साल 2023 में अपने इस ह्यूमन स्पेस मिशन को लांच करके भारत अमेरिका रूस और चाइना के बाद ह्यूमन स्पेस मिशन को अंजाम देने वाला चौथा देश बन जाएगा।

आदित्य L-1

जैसा कि नाम से पता चल रहा है कि इसरो का यह मिशन उर्जा के सबसे बड़े स्रोत सूर्य से जुड़ा हुआ है क्योंकि आदित्य सूर्य का पर्यायवाची होता है।

आदित्य L1 इसरो का सूर्य से जुड़ा हुआ पहला स्पेस मिशन है जिसके जरिए इसरो सूर्य की गतिविधियों को भली-भांति देख सकेगा और उसका अध्ययन भी कर सकेगा। क्योंकि इसरो का यह मिशन सूर्य से जुड़ा हुआ है तथा इसे प्रभामंडल के लग्रांगियन L1 बिंदु पर स्थापित किया जाना है इसलिए इस मिशन को आदित्य L1 का नाम दिया गया है।

इसके अलावा इसरो अपने आने वाले मार्स ऑर्बिटर मिशन (MOM) मंगलयान 2, चंद्रयान-3 और शुक्रयान जैसे मिशनों पर भी काम कर रहा है।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र लगातार भारत को अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी की दुनिया में आगे बढ़ने में मदद कर रहा है और इस समय दुनिया की सबसे बड़ी सरकारी स्पेस एजेंसियों में गिना जाता है। उम्मीद करते हैं यह जानकारियां आपको पसंद आई होंगी।

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FAQ

इसरो के संस्थापक कौन थे?

विक्रम अंबालाल साराभाई ने सन 1969 में इसकी स्थापना की।

इसरों के नये चेयरमैन कौन बनें हैं?

वर्तमान में इसरो के चेयरमैन एस. सोमनाथ हैं जो जनवरी 2022 में इसरो के नए चेयरमैन बने हैं। जबकि इससे पहले इसरो के चेयरमैन के सिवान थे जिनकी देखरेख में चंद्रयान द्वितीय को अंजाम दिया गया था।

इसरो की फुल फार्म क्या है?

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organisation)

विश्व में इसरों कितने नंबर पर आती हैं?

पांचवें

इसरों का पहला सेटेलाइट का नाम क्या था?

पहला कृत्रिम उपग्रह आर्यभट् था 19 अप्रैल 1975 में सोवियत संघ की सहायता से लांच किया गया था।

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