30 जनवरी को शहीद दिवस क्यों मनाया जाता है? जानिए क्या है, शहीद दिवस 2023 का इतिहास | Martyrs’ Day history, Dates facts Essay in hindi

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महात्मा गांधी की पुण्यतिथि कब हैं? शहीद दिवस क्यों मनाया जाता है? शहीद दिवस पर निबंध, इतिहास और महत्त्व (shahid diwas Martyrs’ Day 2023 history Facts in hindi, Martyrs’ Day Essay in hindi )

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शहीद दिवस निबंध 2023 (Martyr Day Essay in hindi 2022): भारत को गुलामी की जंजीरों से आजाद कराने के लिए देश के न जाने कितने वीर सपूतों और देशभक्तों ने अपने प्राण न्योछावर कर दिए। देश की आजादी उन अनगिनत वीरों की शहादत का परिणाम है, जिन्होंने हमारे राष्ट्र की स्वाधीनता को अपने लहू से सींचा था। उनके खून से ही सींचा हुआ स्वतंत्रत भारत का पौधा आज विश्व भर में फूल फल रहा है।

हिंदुस्तानी मिट्टी को अपने लहू से सींचने वाले देशभक्तों का बलिदान कभी भी भुलाया नहीं जा सकता। उनके समर्पण और त्याग की स्मृतियां संजोने के लिए ही भारत में हर साल शहीद दिवस मनाए जाते हैं। भारतीय क्रांतिकारियों के बलिदान दिवस को याद रखने के लिए भारत में शहीद दिवस एक दिन नहीं बल्कि दो दिन मनाया जाता है। शहीद दिवस की है दोनों तिथियां अलग-अलग क्रांतिकारियों से जुड़ी हुई है जिन्होंने मातृभूमि के प्रति स्वयं को समर्पित कर दिया।

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एक ओर जहां 23 जनवरी को भगत सिंह सुखदेव और राजगुरु के बलिदान दिवस को शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है तो दूसरी ओर 30 जनवरी का दिन भारत के राष्ट्रपिता कहे जाने वाले महात्मा गांधी का बलिदान दिवस भी शहीद दिवस के तौर पर मनाया जाता है।

30 जनवरी 2023 को महात्मा गांधी पुण्यतिथि के दिन शहीद दिवस (Shahid Diwas 2023) मनाया जाएगा। आज इस लेख के जरिए हम आपको बताने वाले हैं कि 30 जनवरी को मनाए जाने वाले शहीद दिवस इतिहास और महत्त्व क्या है? शहीद दिवस मनाने का उद्देश्य क्या है? इसके अलावा हम आपको यह भी बताएंगे कि वह कौन-कौन सी तिथियां है, जब शहीद व बलिदान दिवस मनाए जाते हैं। तो चलिए विस्तार से जानते है इसके बारे में-

शहीद दिवस का कब और क्यों मनाया जाता है? (Martyrs’ Day, History & facts in Hindi)

आजादी के समय देश की संप्रभुता और सम्मान की रक्षा करने के लिये देशभक्तों ने कई संघर्ष किये और कुर्बानियां दी। आज हम उन अमर शहीदों की शहादत का कर्ज चुका नहीं सकते हैं।

30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे के द्वारा मोहनदास करमचंद गांधी को गोली मारी गई थी जिससे उसी समय उनकी मृत्यु हो गई थी। गांधी जी की उम्र 78 वर्ष थी। कहा जाता है नाथूराम गोडसे गांधी जी के भारत विभाजन के फैसले से नाराज थे। गांधी जी के इस बलिदान को याद करते हुये 30 जनवरी को शहीद दिवस मनाया जाता है। गांधी जी ने जीवन में अपने सिद्धांतों के साथ कभी समझौता नहीं किया उन्होंने अपने अहिंसा के सिद्धांत पर चलते हुये ही अंग्रेजो से लौहा लिया और आजादी दिलाने में अहम भूमिका निभाई।

शहीद दिवस-Bhagat singh-mahatma Gandhi

इससे अलग 23 मार्च 1931 को शहीद-ऐ-आजम भगत सिंह, सुखदेव थापर तथा शिवराम राजगुरु को फांसी दी गई थी और इनके बलिदान को याद करते हुये 23 मार्च को शहीद दिवस के तौर पर मनाया जाता है।

इस दिन हमें ऐसे महान देशभक्तों व क्रांतिकारी नेताओे से प्रेरणा लेनी चाहिये और उनको समझना चाहिये कि हमे आजादी इतनी आसानी से नहीं मिली है इसके लिये स्वतंत्रता सैनानियों ने कई दशकों तक बहुत ही लंबा संघर्ष किया और कई कुर्बानियां दी हैं।

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शहीद दिवस कैसे मनाया जाता है? (Celebration of Martyrs’ Day)

30 जनवरी का दिन शहीदो की शहादत और बलिदान को याद करके मनाया जाता है। इस दिन राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, रक्षामंत्री, और देश के सेनाप्रमुख एवं देश के प्रमुख गणमान्य व्यक्ति राजघाट पर बापू को श्रद्धासुमन चढ़ाकर श्रद्धाजंलि देते है।

गांधी जी की समाधि को विभिन्न प्रकार के रंग बिरंगे फूलों से सजाया जाता है। इसके पश्चात कुछ विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं। शहीदों एवं राष्ट्रपिता गांधी जी के सम्मान में प्रार्थना सभाए की जाती है एवं दो मिनट का मौन रखा जाता है। सशस्त्र सैनिकों द्वारा शहीदों को सलामी दी जाती है।

गाँधी जी के बारे में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य-

महात्मा गाँधी जी भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन के मुख्य सूत्रधार थे जिन्होंने पूरे भारत को अंग्रेजों के असली मकसद को उजागर किया। उन्होंने स्वतंत्रता हासिल करने के लिये अहिंसा का मार्ग अपनाया और उसी पर चलते हुये अग्रेजों की जड़ों को हिलाकर रख दिया था। उनके जन्म दिन का दिन 2 अक्टूबर को विश्व अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है।

एक बार महात्मा गांधी को दक्षिण अफ्रीका में ट्रेन से बाहर फेक दिया था क्योंकि वह एक अश्वेत एवं भारतीय थे। तभी से उन्होेंने अग्रेजों के इस दुव्यवहार और अत्याचारों के खिलाफ प्रत्येक भारतीय को न्याय और उचित सम्मान दिलाने का प्रण ले लिया था।

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गाँधी जी ने अपने जीवन काल में बहुत सारे सत्याग्रह, अनशन एवं आन्दोलन किये थे। उनमें 1913 में चंपारण सत्याग्रह, 1917 का खेड़ा सत्याग्रह, 1930 में दांडी मार्च, एवं 1942 में भारत छोड़ो आन्दोलन जैसे कई प्रभावशाली आंदोलन किये।

उन्हें अहिंसा का पुजारी के रुप में देखा जाता है नेल्सन मंडेला द्वारा उन्हें शांति का दूत बताया था। 1930 में उन्हें टाइम मैगजीन, अमेरिका द्वारा Man of the year पुरस्कार दिया गया था।

उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई लड़ते-लड़ते 13 बार जेल गए। अंग्रेजों उनसे बहुत डरते थे उन्हें पता था कि अगर उन्हें कुछ हुआ तो देश का बच्चा अग्रेजों के खिलाफ हो जाएगा। गांधी जी ने एक बार तो लगातार 114 दिन तक भूखे प्यासे रहकर अनशन किया था। उनकी अंहिसा की ताकत का लोहा अग्रेंजो को अच्छी से पता था।

5 बार नोबल पुरस्कार के लिये नामित किया गया था। लेकिन उन्हे कभी नोबल पुरस्कार नहीं मिला।

सबसे पहले रविन्द्र नाथ टेगोर जी ने उन्हें महात्मा कहा था। उसके बाद नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने अपने एक भाषण में सन् 1944 में उन्हे राष्ट्रपिता की उपाधि दी थी।

नाथूराम गोडसे ने 30 जनवरी 1948 को बिरला हाउस के कंपाउंड में गांधीजी को पॉइंट ब्लांक रेंज से 3 गोलिया मारी। और गांधीजी उसी समय मृत्यु को प्राप्त हो गए। उनको श्रद्धाजंलि देते हुये 30 जनवरी को शहीद दिवस के रूप में मनाने का निर्णय किया गया।

23 मार्च के दिन भी शहीद दिवस क्यों मनाया जाता है?

23 मार्च को भी शहीद दिवस इसलिए मनाया जाता है। क्योंकि इस दिन 23 मार्च 1931 को भगत सिंह, सुखदेव थापर, और शिवराम राजगुरु जी को अंग्रेजी हुकूमत ने लाहौर में फांसी दी थी। यह तीनों वीर नौजवान अपने देश के लिए हंसते-हंसते फांसी के फंदे पर झूल गए थे। इनकी शहादत से प्रेरणा लेकर उस समय लाखों भारतीय नागरिको व नौजवानों ने देश के लिये मरमिटने की कसम खाई थी।

अन्य शहीद दिवस कौन-कौन से हैं? (Other Martyrs’ Day Dates in hindi)

भारत में 30 जनवरी और 23 मार्च के अलावा भी बहुत मौकों पर शहीद दिवस मनाया जाता है, जैसे कि 19 मई, 21 अक्टूबर, 17 नवंबर, 19 नवंबर, 24 नवंबर, यह सारे दिवस पर शहीद दिवस मनाया जाता है।

19 मई को बंगाली भाषा के आंदोलन के दौरान आसाम सरकार ने यह निर्णय लिया था कि आसाम की आधिकारिक भाषा केवल असामी ही होगी। और इसके प्रोटेस्ट में 15 हिंसक बंगाली लोगों को राज्य सरकार ने गोली मार दी थी। इसलिए इसे भाषा शहीद दिवस कहा जाता है।

21 अक्टूबर को पुलिस शहीद दिवस मनाया जाता है, और इसे सबसे पहले सन् 1959 में सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स जोकि इन 2015 बॉर्डर पर चाइनीज सेना के साथ लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुई थी, उसकी याद में इसे पुलिस शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है।

17 नवंबर को लाला लाजपत राय जी की बरसी है। यानी कि उनकी पुण्यतिथि है। और उन्हें पंजाब के शेर के तौर पर जाना जाता था। और उन्होंने ब्रिटिश राज के खिलाफ स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान लाठीचार्ज की वजह से अपना दम तोड़ दिया था। जिसकी वजह से 17 नवंबर को शहीद दिवस के तौर पर मनाया जाता है।

इसके बाद में 19 नवंबर को रानी लक्ष्मी बाई का जन्म दिन है। और 19 नवंबर 1828 को मराठा साम्राज्य के झांसी राज्य में रानी लक्ष्मीबाई जी का जन्म हुआ था। और उन्होंने 1857 की क्रांति के दौरान अपना जीवन देश के लिए निछावर कर दिया था। इसके लिए महारानी लक्ष्मी बाई जी के जन्मदिवस को शहीद दिवस के तौर पर मनाया जाता है।

इसके बाद में 24 नवंबर को गुरु तेग बहादुर जी के पुण्यतिथि को शहीद दिवस के तौर पर मनाया जाता है, क्योंकि उन्हें 24 नवंबर को औरंगजेब ने गुरु तेग बहादुर को धोखे से मार दिया था। इसलिए 24 नवंबर को गुरु तेग बहादुर जी की पुण्यतिथि पर शहीद दिवस मनाया जाता है।

निष्कर्ष

तो आज के लेख में हमने जाना कि शहीद दिवस क्यों मनाया जाता है, शहीद दिवस 30 जनवरी के अलावा 23 मार्च को भी मनाया जाता है इसके अलावा हमने यह भी जाना कि वे अन्य और कौन सी तिथियां है जब शहीद दिवस मनाया जाता है। हम आशा करते हैं कि आप को शहीद दिवस के बारे में सारी जानकारी मिल चुकी होगी। यदि आपको इस लेख में कोई त्रृटि लगे या कोई सुधार की आश्यकता लगे तो कृपया करके नीचे कमेंट करके हमें सूचित अवश्य करें।

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FAQ

शहीद दिवस कब और क्यों मनाया जाता है?

30 जनवरी को हर वर्ष शहीद दिवस महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर उनको याद करके मनाया जाता है।

Martyrs’ Day को हिंदी में क्या कहां जाता है?

शहीद दिवस

शहीद दिवस कब-कब मनाया जाता है?

शहीद दिवस 30 जनवरी के अलावा 23 मार्च को भगत सिंह व अन्य स्वतंत्रता सैनानियों के बलिदान को ऋद्धांजलि देने के लिये मनाया जाता है इसके अलावा यह 21 अक्टूबर (पुलिस शहीद दिवस), 24 अक्टूबर (गुरु तेग बहादुर की याद में), 17, 19 नवंबर, के दिन मनाया जाता है।

महात्मा गांधी की हत्या कब और किसने की थी?

गांधी जी की हत्या नाथूराम गोडसे द्वारा 30 जनवरी 1948 को गई थी।

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