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मशहूर उर्दू शायर जॉन एलिया का जीवन परिचय और जॉन के कुछ चुनिंदा शेर | Urdu Poet Jaun Elia Biography in Hindi | Jaun Elia Poetry in Hindi

जॉन एलिया का जीवन परिचय, जीवनी, पत्नि, ग़ज़ल रचनाएं, मौत, जॉन एलिया के कुछ चुनिंदा शेर (Urdu Poet Jaun Elia Biography in Hindi, Jaun Elia Poetry in Hindi, Urdu Poet Jaun Elia Biography & Poetry in Hindi)

"मैं भी बहुत अजीब हूं कितना अजीब कि, 
खुद को तबाह कर लिया और मलाल भी नहीं।"

यह पंक्तियां पाकिस्तान के मशहूर लेखक और शायर “जॉन एलिया” की हैं, जो उनके कब्र पर लिखी गई हैं। आप इस शेर से यह अंदाजा लगा सकते हैं कि जॉन एलिया का व्यक्तित्व कैसा रहा होगा?

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“जॉन एलिया” उर्दू शायरी के नए, बेहतरीन और बेहद अलग अंदाज के लिए जाने जाते थे। जॉन ने अपनी शायरी के लिए शब्द चाहे जैसे भी चुने हों लेकिन उनका अंदाज-ए-बयान काफ़ी अलग था। वह उर्दू की परंपरागत शायरी से थोड़ा हटकर पढ़ा करते थे और इसी अंदाज़ ने दुनिया भर में उनका नाम मशहूर कर दिया।

जॉन एलिया उर्दू साहित्य में सबसे ज्यादा मशहूर और सर्वाधिक पढ़े जाने वाले शायर हैं। जॉन का ताल्लुक भारत और पाकिस्तान दोनों मुल्कों से था। दरअसल पाकिस्तान के मशहूर शायर जॉन एलिया भारत में ही पैदा हुए थे।

अपनी जन्मभूमि भारत के साथ जॉन एलिया का बेहद लगाव था। खासकर अमरोहा उत्तरप्रदेश का एक ऐसा शहर जहां जॉन एलिया पैदा हुए थे।

जॉन एलिया आज सोशलमीडिया की दुनियां में बेहद पढ़े और सुने जाते हैं। उनके लिखे हुए बेहतरीन शेर और तंज अक्सर ट्विटर जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर ट्रेंड करते रहते हैं साथ ही साथ उनकी वीडियो क्लिप्स भी वायरल होती रहती है।

इसलिए हमने यह सोचा कि क्यों ना आप सभी को उर्दू शायरी की एक अद्भुत किस्म के शायर जॉन एलिया के बारे में बताया जाए।

आज इस लेख के जरिए आपके साथ हम “मशहूर उर्दू शायर जॉन एलिया का जीवन परिचय” (Jaun Elia Biography & Poetry in Hindi) पर चर्चा करने वाले हैं।

मशहूर उर्दू शायर जॉन एलिया का जीवन परिचय, सक्षिप्त परिचय (Jaun Elia Biography in hindi)

पूरा नाम (Full Name)जॉन एलिया
जन्म स्थान (Birth Place)अमरोहा, उत्तर प्रदेश, ब्रिटिश भारत
जन्म (Date of Birth)14 दिसम्बर 1931
उम्र(Age)70 उम्र
निधनमृत्यु 8 नवम्बर (2002)
स्थानकराची, सिंध, पाकिस्तान
धर्म (religion)मुस्लिम
राष्ट्रीयता (Nationality)पाकिस्तानी
विधा ग़ज़ल कविता
शिक्षादार्शनिक, जीवनी लेखक, और विद्वान
उल्लेखनीय व ग़ज़ल रचनाएंशायद, यानी, लेकिन, गुमान, गोया, फरनोद
परिवार (Family Details)
पिता (Father Name)अल्लामा शफ़ीक़ हसन एलियाह (खगोलशास्त्री, कवि)
वैवाहिक स्थितिविवाहित
पत्नी का नाम (Wife Name)जाहिदा हिना
बच्चेंज़ेरौन एलिया, फेनाना फरनाम, सोहिना एलिया

जॉन एलिया का जन्म और शुरुआती जीवन (Jaun Elia Biography in Hindi)

जॉन एलिया उर्दू साहित्य के सबसे मशहूर शायर माने जाते हैं। साहित्य और शायरी की दुनिया में “जॉन एलिया” नाम से मशहूर जॉन का असली नाम “सैय्यद हुसैन जौन असगर” था।

उनका जन्म भारत की मिट्टी में हुआ था। जॉन एलिया 14 सितंबर 1931 को उत्तर प्रदेश के अमरोहा में पैदा हुए थे। जॉन के पिता अल्लामा शफ़ीक़ हसन एलियाह एक कला और साहित्य विशेषज्ञ के अलावा एक कवि और खगोलशास्त्री भी थे। इसका भरपूर प्रभाव जॉन के जीवन पर पड़ा और उनके भीतर भी लेखन प्रतिभा पनपने लगी।

वह अपने भाइयों और बहनों में सबसे छोटे थे। कहा जाता है कि जॉन एलिया ने महज 8 साल की उम्र में अपनी पहली उर्दू कविता लिखी थी।

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जॉन एलिया का साहित्यिक जीवन परिचय (Urdu Poet Jaun Elia Biography in Hindi)

जॉन एलिया 1947 में हुए भारत-पाक विभाजन के सख़्त खिलाफ़ थे। लेकिन बाद में उन्हें इस विभाजन को एक समझौते के तौर पर स्वीकार करना पड़ा। आज़ादी के तकरीबन 10 साल बाद सन् 1957 में जॉन पाकिस्तान चले गए और वहां जाकर कराची, पाकिस्तान में बस गए।

जॉन एलिया एक बेहतरीन उर्दू लेखक थे लेकिन जीवन के उन्होंने जीवन के शुरुआती 6 दशक में इन्होंने अपनी एक भी रचना सार्वजनिक तौर पर प्रकाशित नहीं करवाई थी।

जॉन की पहली कविता तब प्रकाशित हुई जब उनकी उम्र 60 साल हो चुकी थी। यह जॉन का पहला मुद्रित कविता संग्रह था जिसका शीर्षक “हो सकता है” था।

इसके बाद जॉन एलिया की कई और भी पुस्तकें प्रकाशित हुई जिससे उन्हें उर्दू साहित्य में काफी लोकप्रियता मिली।

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जॉन खुद को बेहद अलग अंदाज में जीते थे। उनका कहना था कि,

"ज़िंदगी एक फन है लम्हों को,
अपने अंदाज़ में गंवाने का!"

जॉन एलिया की पत्नि–

जॉन एलिया इंशा नाम की पत्रिका के संपादक भी रहे थे जहां उनकी मुलाकात उर्दू साहित्य की लेखिका “जाहिदा हिना” के साथ हुई। बाद में जाहिदा हिना और जॉन एलिया ने विवाह भी कर लिया। विवाह के बाद जॉन और जाहिदा की 3 संतानों का जन्म हुआ। उनकी दो बेटियां हैं जिनका नाम फेनाना फरनाम और सोहिना एलिया है। इसके अलावा उनका एक बेटा भी है जिसका नाम ज़ेरौन एलिया है।

लेकिन जॉन एलिया और जाहिदा हिना का रिश्ता ज्यादा दिनों तक चल नहीं पाया और आखिरकार उन्होंने 80 के दशक के बीच में शादीशुदा जिंदगी से तलाक ले लिया।

अपनी पत्नी जाहिदा हिना के साथ तलाक हो जाने के बाद जॉन एलिया बिल्कुल टूट कर बिखर गए और उन्हें शराब की लत लग गई। तलाकशुदा होने के बाद जॉन एलिया की बची खुची जिंदगी बेहद मुश्किल से कटी जिसकी तकलीफ जॉन के मुशायरों में हमेशा ही झलकती रही।

जॉन एलिया की ग़ज़ल रचनाएं –

जॉन एलिया ज्यादातर उर्दू शायरी की ग़ज़ल विधा में रचनाएं करते थे। हालांकि ग़ज़ल के अलावा उवह नज़्म, मर्सिया, अशआर, क़ितआ और अन्य पुस्तकें भी लिखा करते थे।

जॉन एलिया की कुछ प्रमुख ग़ज़ल रचनाएं “शायद”, “लेकिन”, “यानी”, “गुमान” और “गोया” इत्यादि हैं जिनमें से शायद, यानी और गुमान उनकी सबसे लोकप्रिय रचनाएं हैं।

जॉन एलिया की मौत–

उर्दू साहित्य जगत के मशहूर शायर जाने लिया क्षय रोग जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे। उन्होंने अपनी जिम्मेदारी का जिक्र अपनी गजलों में भी किया है। जॉन अपनी बीमारी का जिक्र करते हुए कहते हैं कि,

"मेरे कमरे का क्या बयां कि यहां,
  खून थूका गया शरारत में!"

शायद इन्हीं कारणों से कई बार उन्हें “खून थूकने वाला शायर” कह कर भी संबोधित किया गया था और किया भी जाता है। 8 नवंबर 2002 को काफ़ी लंबी बीमारी के चलते उर्दू साहित्य जगत के मशहूर शायर जॉन एलिया की मौत हो गई।

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जॉन एलिया के कुछ चुनिंदा शेर (Jaun Elia Poetry in Hindi)

कौन इस घर की देखभाल करे,
रोज़ एक चीज़ टूट जाती है!

जो गुजारी न जा सकी हमसे,
हमने वो जिंदगी गुजारी है!

उस गली ने यह सुन के सब्र किया,
जाने वाले यहां के थे ही नहीं!

यह मुझे चैन क्यों नहीं पड़ता,
एक ही शख्स था जहान में क्या?

एक गली थी जब उससे हम निकले,
ऐसे निकले की जैसे दम निकले!

तू मुझे ढूंढ मैं तुझे ढूंढू,
कोई हममें से रह गया है कहीं!

मैं रहा उम्र भर जुदा खुद से,
याद मैं खुद को उम्र भर आया!

अब मेरी कोई जिंदगी ही नहीं,
अब भी तुम मेरी जिंदगी हो क्या?

एक ही तो हवस रही है हमें,
अपनी हालत ख़राब की जाए!

काम की बात मैंने की ही नहीं,
यह मेरा तौर ए ज़िंदगी ही नहीं!

जिंदगी एक फन है लम्हों को,
अपने अंदाज़ में गंवाने का!

नया एक रिश्ता पैदा क्यूं करें हम?
बिछड़ना है तो झगड़ा क्यूं करें हम?

इलाज यह है कि मजबूर कर दिया जाऊँ,
वगरना यूँ तो किसी की नहीं सुनी मैंने!

कितने दिलकश हो तुम कितना दिल जूं हूं मैं,
क्या सितम है कि हम लोग मर जाएंगे!

मैं भी बहुत अजीब हूं इतना अजीब कि,
खुद को तबाह कर लिया और मलाल भी नहीं!

 - जॉन एलिया 

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