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महावीर जयंती 2023: महावीर जयंती पर निबंध और भाषण | Mahavir Jayanti Essay & Speech in Hindi

महावीर जयंती 2023 (Mahavir Jayanti 2023) महावीर जयंती पर निबंध एवं भाषण, Mahavir Jayanti Essay & Speech In Hindi, महावीर जयंती का इतिहास एवं महत्व, महावीर जयंती कब और क्यों मनाई जाती है? (History and Significances Facts of Mahavir Jayanti, Mahaveer Jayanti 2023, Essay on Mahavir Jayanti in hindi)

महावीर जयंती 2023 (Mahavir Jayanti 2023) : महावीर जयंती भारतीय सभ्यता का एक प्रमुख धार्मिक उत्सव है। यह पूरे देश में वर्ष के विभिन्न समयों पर मनाया जाता है, लेकिन अधिकतर राज्यों में यह चैत्र महीने के मध्य यानी अप्रैल के पहले सप्ताह में मनाया जाता है।

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यह उत्सव जैन समुदाय के लोगों द्वारा मनाया जाता है, जो जयंती के दिन भगवान महावीर की पूजा करते हैं। भगवान महावीर जी जैन धर्म के आठवें तीर्थंकर हैं। उनका जन्म 599 ईसा पूर्व में बिहार के वैशाली नगर में हुआ था। महावीर जी का जीवन और संदेश विवेक के आधार पर आधुनिकता की तलाश में आज भी एक महत्वपूर्ण संदेश देता है। उनकी शिक्षाओं में अहिंसा, अनेकांतवाद और अपरिग्रह की भावना होती है।

उन्होंने धर्म को व्यापक रूप से विस्तार दिया और अपने जीवन के उदाहरण से सभी लोगों के बीच सद्भाव और समझौता को प्रोत्साहित किया। आज उनकी जयंती पर लोग महावीर के प्रेरणादायक विचार द्वारा जीवन की शिक्षा ग्रहण करते हैं।

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महावीर जयंती 2023 पर निबंध और भाषण (Mahavir Jayanti Essay & Speech in Hindi)

प्रस्तावना –

महावीर जयंती जैन समुदाय का सबसे महत्वपूर्ण उत्सव है, जो पूरे देश में मनाया जाता है। यह उत्सव भगवान महावीर के जन्मदिन को मनाने के लिए मनाया जाता है और सभी जैन लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है।

इस दिन लोग भगवान महावीर के जीवन को याद करते हैं और उनके सिद्धांतों को आजमाते हैं। भगवान महावीर जी एक महान धर्मगुरु थे जिन्होंने समस्त जीवों के लिए अहिंसा, अपरिग्रह, सत्य और ब्रह्मचर्य के मूल सिद्धांतों का प्रचार किया था। महावीर जी का सिद्धांत था कि सभी जीव एक जैसे हैं और सभी को एक समान दर्जा देना चाहिए।

उन्होंने समस्त जीवों के साथ सहज रूप से संवाद करने वाली भाषा का प्रयोग किया था जो उनके समय से बहुत पहले से उपलब्ध थी। महावीर जयंती के अवसर पर, लोग मंदिरों में जाकर पूजा-अर्चना करते हैं और अपने धर्मगुरु के जीवन और संदेशों को समझने की कोशिश करते हैं। इस दिन कई स्थानों पर शोभायात्राएं निकाली जाती हैं, जिसमें जैन धर्म के अनुयायी भाग लेते हैं।

इस उत्सव का महत्व इस बात से भी बढ़ जाता है कि इस दिन भगवान महावीर का जन्म हुआ था।

महावीर जयंती का इतिहास –

महावीर जयंती हर साल जैन समुदाय के लोगों द्वारा धूमधाम से मनाई जाने वाली एक महत्वपूर्ण धार्मिक उत्सव है। यह उत्सव भगवान महावीर के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है, जो चैत्र मास की शुक्ल त्रयोदशी को पड़ता है।

भगवान महावीर जी के जन्म के समय, उनके पिता सिद्धार्थ नाम का राजा था जो मगध राज्य का राजा था। माता तृषला नाम की रानी ने भगवान महावीर को जन्म दिया। जन्म के बाद, उन्होंने समाज के अलग-अलग वर्गों के लोगों की मदद करने का संकल्प लिया। उन्होंने भीषण तपस्या के द्वारा अपने मन, शरीर और आत्मा को परिशुद्ध किया और अपनी ज्ञान की गहराइयों को खोजा।उन्होंने अपने जीवन के दौरान एक नए धर्म की स्थापना की, जिसे जैन धर्म के नाम से जाना जाता है।

इस धर्म का आधार अहिंसा और दया है, जो सभी प्राणियों के प्रति सम्मान और समझौते का पालन करता है। भगवान महावीर जी ने अपने जीवन के दौरान बहुत सारे संदेश दिए जो आज भी बहुत महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने अपने शिष्यों को अहिंसा के महत्व के बारे में सिखाया, जिसे उन्होंने अपने जीवन में अपनाया था। उन्होंने यह सिद्ध किया कि सभी प्राणियों को समान रूप से सम्मान करना चाहिए और उनके प्रति दया और करुणा का भाव रखना चाहिए।

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महावीर जयंती का इतिहास वहीं से शुरू होता है जब विश्व विजय नाम के मगध सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य ने भारत में सतवाहन वंश के राजा पुलकेशी द्वितीय के साथ युद्ध किया था। चंद्रगुप्त मौर्य ने यह युद्ध जीता था और उन्होंने मगध साम्राज्य की स्थापना की थी। जैन धर्म के अनुयायी उस समय भी थे और उन्हें अपने धर्म को बचाने के लिए अपने धर्म की रक्षा करनी पड़ी।

मगध सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य ने अपने शासन के दौरान जैन धर्म को अत्याचार किया था और उनके संदेशों को खत्म करने का प्रयास किया था।भगवान महावीर जी की जयंती को जैन समुदाय के लोग बहुत उत्साह से मनाते हैं। यह उत्सव चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है।

महावीर जयंती कब मनाई जाती है?

महावीर जयंती हर साल चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को मनाई जाती है। यह एक धार्मिक त्योहार होता है जिसे जैन समुदाय के लोग बहुत उत्साह से मनाते हैं। इस दिन, जैनों के लिए खुशियों और उत्साह का माहौल होता है जहां वे मंदिरों में जाकर पूजा करते हैं और भगवान महावीर के जीवन की कहानियों को सुनते हैं। इस दिन का त्योहार भारत के विभिन्न हिस्सों में मनाया जाता है, जैसे कि राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और बिहार आदि।भगवान महावीर के जन्म स्थल के रूप में माने जाने वाले वैशाली और पावापुरी भी इस उत्सव का आयोजन करते हैं।

यह एक अधिकांश धार्मिक उत्सवों की तरह होता है जहां लोग अपने घरों में परिवार और मित्रों के साथ मिलकर खुशियां मनाते हैं। इस त्योहार का महत्व इसमें है कि यह भगवान महावीर जी के जीवन और संदेशों को याद दिलाता है और लोगों को एक दृष्टिकोण प्रदान करता है। महावीर जयंती उनके उपदेशों और संदेशों को याद दिलाने का अवसर होता है।

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इस दिन के अवसर पर, जैन समुदाय के लोग उनकी उपदेशों को स्मरण करते हैं और उनकी उपलब्धियों को याद करते हैं। वे उनकी धार्मिक विचारधारा के अनुसार अपने जीवन के रूप में निरंतर सुधार करने का निर्धारण करते हैं।इस त्योहार को भगवान महावीर जी के संदेशों को याद दिलाने के साथ-साथ एकता, सद्भावना और समरसता को बढ़ावा देने का एक अवसर भी माना जाता है।

इस दिन लोग एक-दूसरे के साथ एकता और सद्भावना का संदेश देते हैं। इस त्योहार को भगवान महावीर जी के जीवन के महत्वपूर्ण पदार्थों जैसे अहिंसा, सत्य, अपरिग्रह, बहुजन हिताय और नवकार में विशेष महत्व दिया जाता है।

महावीर जयंती का महत्व –

महावीर जयंती का महत्व इस बात को दर्शाता है कि भारत में विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों के लोग एक साथ रहते हैं और एक दूसरे की सम्पत्ति का आदर करे हैं। यह एकता और सद्भावना का पर्व है जो लोगों को समानता के बारे में सोचने पर विचार करने के लिए प्रेरित करता है। इस त्योहार को विभिन्न तरीकों से मनाया जाता है। लोग अपने घरों में पूजा करते हैं और मंदिरों में जाते हैं।

उन्हें अहिंसा का संदेश देते हुए विशेष भोजन बनाया जाता है जिसमें केवल शाकाहारी व्यंजन शामिल होते हैं।इस त्योहार को मनाने का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य भी यह होता है कि लोग भगवान महावीर जी के जीवन में से उनके संदेशों को अपने जीवन में अपनाएं और उनके संदेशों को व्यापक रूप से फैलाएं।

इन संदेशों में से अहिंसा, सत्य, अपरिग्रह, बहुजन हित और मित्रता जैसे मूल्यों का भी महत्वपूर्ण स्थान है। इस त्योहार के द्वारा लोग एक दूसरे के साथ भाईचारे और सद्भावना का संदेश भी देते हैं। इस दिन को मनाने से लोग अपने जीवन में शांति, स्वास्थ्य, समृद्धि और सफलता की प्राप्ति के लिए जानकारी और प्रेरणा प्राप्त करते हैं। इस त्योहार का महत्व यह है कि यह लोगों को सही और धार्मिक दिशा में ले जाता है, जो उन्हें अपने जीवन में सफलता की ओर ले जाता है।

इस त्योहार का महत्व और अनेक महत्वपूर्ण संदेशों को देखते हुए, भारत समेत अन्य देशों में इसे बहुत ही उत्साह और भावनात्मक रूप से मनाया जाता है। इस त्योहार के दौरान जैन मंदिरों में धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं और लोग भजन-कीर्तन और पूजा-अर्चना करते हैं।

इस त्योहार का महत्व यह भी है कि यह लोगों को उनके संस्कृति और धर्म के महत्व को समझाता है। इस त्योहार के द्वारा जैन समुदाय के लोग अपने धर्म और संस्कृति के मूल्यों को याद दिलाते हैं और इनको बचाने और संरक्षित करने के लिए जागरूकता फैलाते हैं। इस तरह से इस त्योहार से जैन समुदाय के सदस्यों के बीच एक एहसास उत्पन्न होता है कि उनके धर्म और संस्कृति का महत्व क्या है और वे अपने धर्म के मूल्यों का सम्मान करते हुए अपनी ज़िन्दगी जीना चाहते हैं।

महावीर स्वामी जी के बारे में –

महावीर स्वामी जी जैन धर्म के तीर्थंकर हैं और जैन धर्म के प्रमुख संस्थापक में से एक हैं। वे 6वीं शताब्दी ईसा पूर्व में जन्मे थे और उनका जन्म कुण्डग्राम (वर्तमान वैशाली, बिहार) में हुआ था। महावीर स्वामी जी के बचपन का जीवन विवरण बहुत कम है। उन्होंने जीवन के आधारभूत सिद्धांतों के साथ बचपन से ही परिचित किया था।

उनके पिता सिद्धार्थ नाम के एक राजा थे और माता त्रिशला नाम की एक महिला थीं। महावीर स्वामी जी ने वैवाहिक जीवन नहीं जीता था और उनके पास एक बड़ी दृष्टि थी, जो उन्हें लोगों की मदद करने और उनके दुखों को दूर करने के लिए प्रेरित करती थी। महावीर स्वामी जी के जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था उनकी तपस्या। उन्होंने अपने जीवन में लगभग 12 साल तक तपस्या की थी और उनकी ये तपस्या उन्हें अपने अंतिम लक्ष्य तक पहुँचने में मदद करती रही।

महावीर स्वामी जी ने जैन धर्म के सिद्धांतों को व्यापक रूप से विस्तार दिया था और महावीर स्वामी जी अपने जीवन के दौरान समाज में अशांति और विवाद को दूर करने के लिए अनेक पहल किए थे। उन्होंने सभी लोगों को एक समान माना और उनके बीच भेदभाव को दूर करने का संदेश दिया। वे सभी जीवों का सम्मान करते थे और अन्याय के खिलाफ लड़ने का संदेश देते थे। वे अहिंसा के बहुत बड़े प्रचारक थे और इसे अपने जीवन का मूल मंत्र मानते थे।

महावीर जयंती मनाने के रीति रिवाज और धार्मिक परंपराएँ –

महावीर जयंती हर साल वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को मनाया जाता है। जैन समुदाय इस त्योहार को अपने धर्म और संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा मानते हैं। इस त्योहार के दौरान, जैन समुदाय के लोग धार्मिक अध्ययन, पूजा-अर्चना, भजन, समारोह, कवि सम्मेलन, आमंत्रण, दान-दशना आदि करते हैं।

इस दिन जैन मंदिरों में भव्य प्रदर्शन भी किए जाते हैं। लोग अपने परिवार और दोस्तों के साथ मंदिर जाते हैं और वहां पूजा अर्चना करते हैं।इस दिन जैन समुदाय के लोग अपने घरों में स्वयं के अलावा दूसरों को खुश करने के लिए भी विभिन्न कार्यक्रम का आयोजन करते हैं। वे खाने-पीने के साथ-साथ दान-दशना भी करते हैं और अपनी खुशी का उपयोग दूसरों की मदद करने में करते हैं।

जैन समुदाय के अलावा, महावीर जयंती के अवसर पर अनेक लोग अपने घरों में दीये जलाते हैं और पूजा अर्चना करते हैं। उन्हें लगता है कि दीये जलाने से प्रकाश की विजय होती है और अन्धकार दूर होता है। इस दिन लोग भगवान महावीर स्वामी के चरणों में अपनी श्रद्धा और विश्वास व्यक्त करते हैं।

महावीर जयंती के अवसर पर लोग अपने घरों में भोजन का वितरण करते हैं और गरीबों को धन दान करते हैं। इस दिन जैन समुदाय के लोगों का उत्साह अधिक होता है और वे एक-दूसरे के साथ बातचीत करते हैं और खुशी और प्रेम का महसूस करते हैं।

महावीर जयंती के दिन शिक्षक और विद्यार्थी भी समुदाय के धार्मिक कार्यक्रमों में भाग लेते हैं। स्कूलों में विशेष प्रोग्राम आयोजित किए जाते हैं जिनमें बच्चे भगवान महावीर स्वामी के जीवन और संदेश के बारे में सीखते हैं।

महावीर जयंती पर भाषण 2023 (Mahavir Jayanti Speech in Hindi)

महावीर जयंती के शुभ अवसर पर भाषण देने के लिए निम्नलिखित महावीर जयंती पर भाषण बहुत ही प्रेरणादायक भाषण है। इस भाषण का उपयोग आप मंच, समाज, लोगो को प्रेरित करने के लिए भी कर सकते है।प्रिय समस्त श्रद्धालुओं और महानुभावों,आज हम सभी यहां महावीर जयंती के उत्सव के अवसर पर इकट्ठे हुए हैं।

यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण दिन है जो जैन समुदाय के लोगों के लिए एक प्रमुख त्योहार है। इस दिन को महावीर जयंती के रूप में मनाया जाता है, जो हमारे जीवन में महावीर स्वामी जी की जन्म जयंती के रूप में मनाई जाती है। महावीर स्वामी जी ने हमें अपने जीवन के माध्यम से अहिंसा, सत्य, अपरिग्रह, ब्रह्मचर्य और अनेक अन्य गुणों की महत्वता सिखाई।

उन्होंने एक बेहतर और समझदार व्यक्ति के रूप में हमारे जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। महावीर स्वामी जी के जन्म जयंती के उत्सव के दौरान, हमें उनके द्वारा सिखाई गई महत्वपूर्ण उपदेशों को याद रखना चाहिए। हमें उनके जीवन में से सीख लेना चाहिए कि कैसे हम अपने जीवन में अहिंसा और उदारता के साथ जीवन जी सकते हैं।

इस दिन के उत्सव के दौरान, हमें अपने आस-पास के लोगो को सम्मान देना चाहिए और उन्हें महावीर जयंती के बारे में जागरूक करना चाहिए। हमें उन्हें इस दिन के महत्व के बारे में बताना चाहिए और महावीर स्वामी के अहिंसा और सत्य के सिद्धांतों के बारे में जानकारी देना चाहिए।

इस उत्सव के दौरान, हमें जैन समुदाय के बारे में भी जानना चाहिए जो हमारे देश में अपने स्वयं के वैश्य और कुछ अन्य समुदायों से भिन्न होते हुए भी हमारे समाज का अभिन्न अंग हैं। हमें उनकी संस्कृति, धर्म और उनके संघर्षों के बारे में जानना चाहिए जो उन्होंने अपने अधिकारों के लिए लड़ा था।

इस उत्सव का उद्देश्य हमें सभी धर्मों और संस्कृतियों के बीच समानता और एकता का संदेश देता है। इस अवसर पर, हमें जैन संस्कृति और उसके धर्म के महत्व को समझने का मौका मिलता है। हमारा देश में धर्म और संस्कृति के लिए जाने जाते हैं। इसलिए, हमें अपने देश के सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत को समझने का समय निकालना चाहिए।

महावीर जयंती का उत्सव हमें एक जैन धर्म के साथ जोड़ता है जो अहिंसा और दया के सिद्धांतों पर आधारित है। हम सभी को अहिंसा, समझदारी और सम्मान के साथ रहने की आवश्यकता है। यह हमारे समाज के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश है जो हमें स्वस्थ और संतुलित समाज बनाने के लिए प्रेरित किया है।

इस महावीर जयंती के उत्सव के दौरान हमें अपने आस-पास के लोगों के साथ अहिंसा, दया, सद्भावना और सामंजस्य के संदेश को बढ़ावा देना चाहिए। यह उत्सव हमें एक बार फिर से याद दिलाता है कि हमें एक-दूसरे के साथ समझदारी, सम्मान, और शांति से रहना चाहिए।

उत्सव के दौरान हमें जैन धर्म के संस्कृति और उनकी महत्वपूर्ण शिक्षाओं को जानने का भी अवसर मिलता है। इसे अन्य समुदायों के लोगों के साथ साझा करने से हम दूसरों के संस्कृति और उनके धर्म के बारे में जान सकते हैं और सामंजस्य और समझ का विकास होता है।

इस उत्सव को मनाने से हम लोग यह संदेश देते हैं कि हम सभी एक-दूसरे के साथ भाईचारे और समझदारी के साथ रहना चाहते हैं। हम सभी को यह याद दिलाते हैं कि जीवन में सत्य, अहिंसा, दया और संयम के गुण विकसित करने से हम एक समृद्ध और समृद्धि से भरपूर समाज का निर्माण कर सकते हैं।

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FAQ

महावीर जयंती कब मनाई जाती है?

चैत्र शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को स्वामी महावीर की जयंती मनाई जाती है।

महावीर जयंती 2023 कब है?

4 अप्रैल 2023

महावीर जंयती क्यों मनाई जाती है?

क्योंकि इसी दिन जैन धर्म के अंतिम तीर्थंकर महावीर स्वामी का जन्म हुआ था।

निबंध-

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