राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस कब व क्यों मनाया जाता है?, राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस का इतिहास, थीम 2023 ( National Safe Motherhood Day, theme 2023, history)
राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस हर साल 11 अप्रैल को मनाया जाता है। यह दिन महिलाओं के लिए उच्च गुणवत्ता वाली मातृत्व देखभाल के बारे में जागरूकता बढ़ाने और सुरक्षित मातृत्व सुनिश्चित करने के लिए मनाया जाता है। इस दिन का महत्व उन लाखों महिलाओं के लिए होता है जो गर्भधारण की अवधि से लेकर प्रसव के बाद की अवधि तक अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखती हैं। इस दिन का महत्व यह भी है कि इससे महिलाओं के स्वास्थ्य और उनकी जिंदगी को बचाने की जागरूकता फैलाई जाती है।
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विषय–सूची
राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस क्या है?
राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस भारत में हर साल मनाया जाने वाला एक ऐसा दिन है जिसमें माँ और बच्चे के स्वास्थ्य को सुरक्षित रखने के लिए जागरूकता फैलाई जाती है। इस दिन को मनाकर लोग माँ और बच्चे की रक्षा के लिए जरूरी जानकारी हासिल करते हैं और उन्हें समझाते हैं कि वे कैसे इस संबंध को सुरक्षित रख सकते हैं।
यह दिन संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा विश्व स्वास्थ्य दिवस के साथ मनाया जाता है। यह दिन बहुत महत्वपूर्ण होता है क्योंकि भारत में हर साल लाखों महिलाएं और उनके बच्चे नीचे स्तरीय स्वास्थ्य सेवाओं की कमी के कारण जीवन के खतरे में पड़ जाते हैं। इस दिन का महत्व यह है कि लोगों को अपने आसपास के स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के साथ जुड़ने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है ताकि वे स्वस्थ रह सकें।
यह भारत में गर्भावस्था, प्रसव और नवजात शिशु की देखभाल को समर्पित दिवस है। इस दिवस का मुख्य उद्देश्य बेहतर चिकित्सा देखभाल प्रदान करना है, ताकि मातृ मृत्यु अनुपात को कम किया जा सके। राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस को 2003 में व्हाइट रिबन एलायंस इंटरनेशनल द्वारा प्रस्तावित किया गया था। भारत सरकार ने इसे 11 अप्रैल को कस्तूरबा गांधी के जन्मदिन के अवसर पर राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस के रूप में घोषित किया था। इस दिन कई स्थानों पर नारी शक्ति को समर्पित कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं।
राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस का उद्देश्य
राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस का मुख्य उद्देश्य माँ बनने वाली महिलाओं के स्वास्थ्य एवं सुरक्षा का सुनिश्चित करना है। इस दिन का महत्व इस बात का संकेत है कि माँ बनना किसी भी महिला के जीवन का एक अहम पहलू होता है, जिसमें उन्हें अपने शरीर के साथ-साथ अपने भविष्य के संभवनाओं का भी ख्याल रखना पड़ता है। यह दिन महिलाओं के जीवन में उत्तरदायित्व और सुरक्षा की भूमिका का संदर्भ है। इस दिन का उद्देश्य महिलाओं के स्वास्थ्य से संबंधित सभी मुद्दों पर जागरूकता फैलाना, संबंधित नियमों एवं कानूनों के बारे में जागरूकता बढ़ाना और माँ बनने वाली महिलाओं के संबंध में उनके परिवारों को समझाना है। यह दिन महिलाओं के शारीरिक, मानसिक और आर्थिक स्वास्थ्य के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है।
राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस का एक अन्य महत्वपूर्ण उद्देश्य महिलाओं के साथ संबंधित सोशल मीडिया के माध्यम से जागरूकता फैलाना है। हालांकि, राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस के उद्देश्य को प्राथमिकता देना जरूरी होता है लेकिन महिलाओं के साथ संबंधित सोशल मीडिया के माध्यम से जागरूकता फैलाना भी इस दिवस का एक अन्य महत्वपूर्ण उद्देश्य है।
महिलाओं के साथ संबंधित सोशल मीडिया के माध्यम से जागरूकता फैलाने का महत्वपूर्ण कारण है कि आजकल सभी लोग सोशल मीडिया का उपयोग करते हैं और इसका प्रभाव महिलाओं पर भी होता है। इसलिए सोशल मीडिया को एक ऐसा माध्यम बनाया जा सकता है जिसके माध्यम से महिलाओं को अपने अधिकारों के बारे में जागरूक किया जा सकता है। इसके साथ ही साथ, सोशल मीडिया एक ऐसा माध्यम भी है जिसके माध्यम से महिलाओं को सुरक्षा के बारे में जागरूक किया जा सकता है। इस दिवस के द्वारा महिलाओं को सोशल मीडिया के माध्यम से जागरूक करने के लिए अनेक कदम उठाए जाते हैं। जैसे कि उन्हें उनके अधिकारों के बारे में बताया जाता है जिसमें मातृत्व शामिल होता है,
राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस का इतिहास (National Safe Motherhood Day History facts in hindi)
राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस, महिलाओं की मां बनने की गम्भीरता और संभावित जोखिमों के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है। यह दिन भारत सरकार द्वारा जारी की गई एक सूची में शामिल है, जिसमें महिलाओं के लिए मनाये जाने वाले महत्वपूर्ण दिन शामिल हैं।
राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस का इतिहास कुछ साल पहले तक जाना जाता है। यह दिवस 2013 में शुरू हुआ, जब भारत सरकार ने मां बनने वाली महिलाओं के लिए एक नई योजना शुरू की। इस योजना का उद्देश्य था कि महिलाएं अपनी स्वस्थ और बच्चे की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकें, जिससे न केवल उन्हें स्वस्थ रहने में मदद मिलती है, बल्कि उनके बच्चों के स्वास्थ्य और विकास को भी सुनिश्चित किया जा सकता है।
इस योजना के अंतर्गत, सरकार ने एक नई सेवा शुरू की, जिसे ‘मातृत्व सुरक्षा सेवा‘ कहा जाता है। इस सेवा के अंतर्गत, भारत सरकार ने प्रसव स्थल पर मातृत्व सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न सुविधाओं की व्यवस्था की है। इस सेवा के तहत, सरकार ने एक मातृत्व सुरक्षा अधिकारी की नियुक्ति की है, जो प्रसव स्थल पर महिलाओं की मदद करते हुए उनकी सुरक्षा और सुविधा सुनिश्चित करते हैं। इसके अलावा, यह सेवा प्रसव स्थल पर निःशुल्क भोजन, जल और स्नान की सुविधा, फ्री ऑफ कॉस्ट संतुलित आहार और नि:शुल्क दवाओं की व्यवस्था भी करती है।
इस सेवा का मुख्य उद्देश्य महिलाओं की सुरक्षा और सुविधा की सुनिश्चित करना है। यह सेवा खासकर उन महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण है, जो अपने परिवारों से दूर और अज्ञात महिलाओं के बीच प्रसव के लिए जाती हैं। इस सेवा की मदद से सरकार महिलाओं को उनकी सुरक्षा और सुविधा सुनिश्चित करते हुए उनके साथ खड़ी होती है। इसके अलावा, इस सेवा के माध्यम से सरकार महिलाओं को स्वस्थ जीवन जीने के लिए आवश्यक सुविधाएं भी प्रदान करती है।
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राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस 2023 थीम
प्रत्येक वर्ष विश्व मातृत्व अधिकार संगठन (WRAI) के सदस्य एक थीम का चयन करते हैं, जो गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए मातृत्व सुविधाओं और उचित स्वास्थ्य देखभाल के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए कार्यक्रम, आयोजन और गतिविधियों का आयोजन करते हैं। WRAI द्वारा आयोजित इन गतिविधियों का लक्ष्य जागरूकता बढ़ाना होता है कि प्रत्येक महिला के गर्भावस्था और प्रसव के दौरान जीवन और जीवित रहने का अधिकार है।
साल 2023 को मनाएं जाने वाले राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस को भी एक थीम के साथ मनाया जाएगा, जिसका चयन सरकार द्वारा अभी घोषित नहीं किया गया है।
राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस का महत्व
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के ताजा आंकड़ों के अनुसार, प्रतिदिन लगभग 800 से अधिक महिलाएं गर्भावस्था और प्रसव से संबंधित विभिन्न कारणों के कारण मर जाती हैं। इसलिए, राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस का उद्देश्य सुरक्षित मातृत्व सुनिश्चित करने के लिए हर गर्भवती महिला के लिए उच्च गुणवत्ता वाली देखभाल के बारे में जागरूकता प्रदान करना है। इस दिन के महत्व के साथ-साथ, माताएं अपने प्रसव पूर्व और प्रसवोत्तर स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं, प्रसव के दौरान समय पर प्रबंधन और उपचार और कुशल स्वास्थ्य पेशेवरों द्वारा जन्म सहायता के बारे में जानकारी भी प्राप्त कर सकती हैं।
गरीब देशों में, मातृ मृत्यु दर 99 प्रतिशत तक पहुंच सकती है। क्योंकि प्रसव से पहले, उसके दौरान और उसके बाद पेशेवर उपचार महिलाओं और नवजात शिशुओं के जीवन को बचा सकता है, अधिकारियों ने निर्धारित किया कि मृत्युदर को रोकने के लिए महिलाओं को शिक्षित करने के लिए एक कार्यक्रम आवश्यक था। इस दिवस को मनाने का सबसे बढ़ा लक्ष्य यह भी है की हमारे देश में हर वर्ष होने वाली मातृ मृत्यु दर को प्रति 1 लाख जीवित जन्मों पर 70 से कम करने के एक बहुत बड़े सतत विकास टारगेट को पूरा करने के लिए लोगो के बीच जागरूकता पैदा करना और सभी को इस मुहीम में एक साथ लाना है।
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