Names of India and their History in hindi: एक बार फिर इंडिया का नाम बदलकर भारत करने की चर्चा हो रही है, लेकिन सवाल यह उठता है कि आखिर क्यों भारत का नाम बदलकर इंडिया रखा गया था? क्या यह फैसला भारत सरकार का था या फिर इसके पीछे कोई अलग इतिहास है?
आइए आज इस लेख के जरिए हम इन सभी चीजों के विषय में जानते हैं।
जिस देश को आज हम इंडिया के नाम से जानते हैं, वह एक समय पर भारत और हिंदुस्तान के नाम से जाना-जाता था और अब एक बार फिर जब देश के नाम से इंडिया हटाने को लेकर सवाल खड़े हुए तो हजारों लोग इतिहास के पन्ने पलट रहे हैं।
लोग यह जानने के लिए बेसब्र हैं कि आखिर क्यों भारत का नाम इंडिया पड़ा?
दरअसल हाल ही में इंडिया और भारत के नाम को लेकर विवाद खड़ा हुआ, जब बीजेपी के नेता शुभेंदु अधिकारी ने इस मुद्दे पर अपनी बात रखते हुए कहा कि इंडिया नाम अंग्रेजों का दिया हुआ है और अब इससे मुक्ति पाने का वक्त आ गया है।
लेकिन क्या यह सच है? क्या वाकई अंग्रेजों की वजह से भारत का नाम इंडिया पड़ा था या इसके पीछे कुछ अलग इतिहास है? आइए जानते हैं।
विषय–सूची
भारत का नाम कैसे पड़ा इंडिया? (Names of India and their History in hindi)
यह बात किसी से छिपी नहीं है कि अंग्रेजों ने भारत पर 200 सालों तक राज किया।
उन्होंने भारत में जमकर हिंसा, रंगभेद व आर्थिक शोषण किया था। दरअसल इंडिया शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम ग्रीकों ने किया था, क्योंकि जब सिंधु नदी के पार के लोगों से ग्रीक वासियों का संपर्क हुआ था।
तो उन्होंने नदी पार के लोगों को इंडस कहकर बुलाया था। दरअसल वह उन लोगों को हिन्दस कहना चाहते थे किंतु अपनी भाषा के कारण वह इसका ठीक तरह से उच्चारण नहीं कर पाए।
परिणाम स्वरूप फिर सिंधु नदी के पार रहने वाले लोगों को हिन्द हिन्दू, हिन्दुश जैसे नामों से बुलाया जाने लगा।
लेकिन ग्रीक भाषा में ‘ह’ ध्वनि साइलेंट होती है और इसी वजह से हिन्द शब्द को इंड, हिन्दूश को इंडस और फिर ऐसे कई उच्चारणों के बाद इंडिया नाम से बुलाया जाने लगा।
इंडिया शब्द इस्तेमाल में कैसे आया?
इंडिया शब्द का उच्चारण तो शुरूआत में ही लोग करने लगे थे लेकिन इसका बड़े पैमाने पर इस्तेमाल 1498 में शुरू हुआ जब पुर्तगाल यात्री वास्कोडिगामा ने भारत आने के लिए समुद्री मार्ग की खोज की।
इस खोज के बाद यूरोपीयों का जत्था भारत आने लगा और ये लोग भारत को ईस्ट इंडिया कहती थी। उस वक्त भारत में मुगलों के प्रभाव के कारण हमारे देश को हिन्दुस्तान कहा जाता था।
लेकिन यह शब्द कहने में यूरोपियनों को काफी मुश्किल होती थी।
तब अंग्रेजों को पता चला कि भारत की सभ्यता सिंधु घाटी है, जिसे इंडस वैली कहा जाता है तथा इसी इंडस शब्द को लैटिन में इंडिया कहा जाता है।
तभी से यूरोपियों ने भारत को इंडिया कहना शुरू कर दिया और धीरे-धीरे ये नाम इतना लोकप्रिय हो गया कि आज भी हमारा देश ‘इंडिया’ के नाम से जाना जाता है।
देश को भारत और हिन्दूस्तान नाम कैसे मिला?
देश का नाम भारत कैसे पड़ा?
इसके पीछे वैसे तो कई कहानियां है, लेकिन एक कहानी राजा भरत की है, जो काफी ज्यादा फेमस है। इस कहानी का जिक्र महाभारत के आदिपर्व में भी मिलता है।
कहानी कुछ इस तरह है कि महर्षि विश्वामित्र और अप्सरा मेनका की एक बेटी थीं, जिनका नाम था शकुंतला और शकुंतला का हस्तिनापुर के राजा दुष्यंत से गंधर्व विवाह हुआ था।
दोनों की संतान हुई थी, जिनका नाम भरत था। यही भारत आगे चलकर हस्तिनापुर के महाराज बने।
भरत ने हस्तिनापुर जैसे विशाल राज्य पर काफी लंबे समय तक राज किया था और उनके राज्य का नाम ‘भारत वर्ष’ कहा जाता था।
यह नाम उनके ही नाम पर पड़ा था। ऐसे में यह मान्यता है कि भारत नाम दुष्यंत और शकुंतला के बेटे भरत के नाम पर रखा गया था।
अब देखते हैं हमारे देश को हिन्दूस्तान नाम कैसे मिला? दरअसल, उस समय में सिंधु घाटी सभ्यता बहुत प्रसिद्ध थी।
उस युग में जब तुर्किस्तान से कुछ विदेशी लुटेरे और ईरानी लोग इस देश में आए तो उन्होंने सबसे पहले सिंधु घाटी में प्रवेश किया।
यहां के रहने वाले लोगों को ये विदेशी और ईरानी लोग हिंदू कहकर बुलाया करते थे।
ऐसे में हिन्दुओं के देश को उन्होंने हिन्दुस्तान के नाम से जाना और तभी से यह नाम प्रचलन में आया।
भारत के और भी हैं कई प्राचीन नाम –
भारत, इंडिया और हिन्दूस्तान शब्द से तो आप वाकिफ हैं, लेकिन इसके अलावा भी हमारे देश को कई नाम मिल चुके हैं। जी हां.. प्राचीन काल में हमारे देश को जम्बूद्वीप भी कहा जाता था।
दरअसल, यह नाम हमारे देश को जंबू पेड़ की वजह से मिला था। इसके अलावा, हमारे देश को वेद, पुराण, महाभारत और रामायण सहित कई ग्रंथों में ‘भारतखंड’ का नाम दिया गया है। वहीं, इस प्राचीन काल खंड में भारत को ‘आर्यावर्त’ और ‘हिमवर्ष’ नाम से भी जाना जाता था।
भारत, इंडिया और हिन्दूस्तान इन नामों पर हुआ विवाद (Bharat Vs India Controversy)
आजादी से पहले हमारे देश को कई नाम मिले। कभी भारत, कभी हिन्दूस्तान और कभी इंडिया, लेकिन आजादी के बाद जब संविधान में देश के नाम पर सवाल उठा तो बहस में इन तीनों नामों की खूब चर्चा हुई थी।
संविधान सभा की ड्राफ्टिंग कमेटी के अध्यक्ष डॉ. भीमराव अंबेडकर चाहते थे कि जल्द से जल्द इस बहस को खत्म कर देश को उसका नाम मिले, लेकिन दूसरे सदस्यों के बीच देश के नाम को लेकर बहस खत्म होने का नाम नहीं ले रही थी।
लेकिन फिर आखिर में संविधान सभा के अध्यक्ष हरि विष्णु ने ये सुझाव दिया कि भारत को इंडिया में बदल दिया जाए और फिर इस सुझाव पर विचार करते हुए आखिर में फैसला लिया गया और संविधान के अनुच्छेद: 1 में लिखा गया कि ‘इंडिया यानी भारत राज्यों का संघ होगा।’
क्या देश के नाम के पीछे है कोई राजनीति?
जैसा कि हमने आपको ऊपर भी बताया कि अगर देशा का नाम इंडिया से भारत होता है, तो इससे सबसे बड़ा झटका विपक्षी दलों को लगेगा, क्योंकि कई सालों पहले से विपक्षी दलों का गठबंधन I.N.D.I.A (इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इनक्लूसिव अलायंस) नाम से बन रहा है।
जिस वक्त इस अलायंस का निर्माण हुआ था, उसी समय से सत्ताधारी पक्ष के लोग इंडिया शब्द पर आपत्ति जता रहे हैं और इस नाम को बदलकर भारत रखने पर जोड़ डाल रहे हैं। हालांकि, अगर इंडिया का नाम भारत रखा जाता है, तो यह वाकई गौरव की बात होगी।
क्योंकि भारत और हिन्दूस्तान जैसे नाम हमारे देश के लिए कई वर्षों से इस्तेमाल होते आ रहे हैं। जहां भारत शब्द हमें हमारे पूर्वजों से मिला है, तो वहीं हिन्दूस्तान शब्द का इस्तेमाल मध्य युग से होता आ रहा है।
सालों बाद फिर क्यों बदल रहा देश का नाम?
पहले हिन्दूस्तान से भारत और भारत से इंडिया का इतिहास तो आप जान चुके हैं, लेकिन फिर एक बार क्यों देश का नाम बदला जा रहा है?
क्या इसके पीछे कोई खास वजह है?
दरअसल, इस समय देश में जी-20 सम्मेलन को लेकर खूब चर्चा है।
ऐसे में जब सम्मेलन में आने वाले मेहमानों को डिनर के लिए आमंत्रित करते वक्त भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने ‘रिपब्लिक ऑफ इंडिया’ की जगह ‘रिपब्लिक ऑफ भारत’ शब्द का इस्तेमाल किया, तो देश में एक नया सवाल खड़ा हो गया कि क्या देश का नाम अब बदलकर ‘भारत’ रखा जाएगा?
खबरों की मानें, तो बहुत जल्द केंद्र सरकार देश का नाम इंडिया से भारत रखने का प्रस्ताव ला सकती है।
लेकिन सवाल अब भी वही है कि क्यों? आखिर यह फैसला क्यों?
दरअसल, मार्च साल 2016 में इंडिया के नाम को बदलकर भारत करने की याचिका दायर की गई थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस पर कड़ी आपत्ति जताते हुए इस मांग को खारिज कर दिया था। वहीं, साल 2020 में भी इस मांग को खारिज किया गया था और कहा गया था कि, ”भारत और इंडिया दोनों नाम संविधान में दिए गए हैं। इसलिए इस याचिका पर विचार नहीं किया जाएगा।”
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि संविधान में देश के नाम का जिक्र करते हुए कहा गया है कि, ‘India That Is Bharat’
देश का नाम बदलने पर क्या-क्या बदलता है?
वैसे एक तरह से देखा जाए तो इंडिया पहला ऐसा देश नहीं है, जिसके नाम में बदलाव किया जा रहा है। इससे पहले दुनिया में 190 से ज्यादा देशों के नाम में बदलाव किया गया है।
लेकिन बदलाव शब्द बोलने में जितना आसान है, उतना ही इस बदलाव को लाना मुश्किल है, क्योंकि अगर देश का नाम बदला जाता है, तो बहुत-सी चीजों में बदलाव होंगे, जिनमें डॉक्यूमेंट्स, वेबसाइट्स, आर्मी की यूनिफॉर्म, लाइसेंस प्लेट और बहुत कुछ शामिल है और ये बदलाव काफी खर्चीला भी हो सकता है।
‘Moneycontrol’ की लेटेस्ट रिपोर्ट पर अगर नजर डाले, तो इंडिया को भारत बनने में लगभग 14,304 करोड़ रुपए खर्च हो सकते हैं। यह रकम उतनी है, जितनी सरकार हर माह 80 करोड़ भारतीयों के लिए खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम पर खर्च करती है। हालांकि, अभी यह तय नहीं है कि केंद्र सरकार देश का नाम बदलने के फैसले पर कायम रहेगी या नहीं। फिलहाल, देश के नाम को लेकर केवल चर्चा ही है।