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विमुद्रीकरण क्या है? विमुद्रीकरण (नोटबंदी) पर निबंध | Essay on Demonetization in Hindi

विमुद्रीकरण अथवा नोटबंदी पर निबंध (Essay on Demonetization in Hindi) विमुद्रीकरण क्या है? विमुद्रीकरण का अर्थ, भारत में नोटबंदी, नोटबंदी के फायदे पर निबंध, नोटबंदी के लाभ और हानि पर निबंध, नोटबंदी के फायदे और नुकसान, विमुद्रीकरण अर्थात नोटबंदी का अर्थव्यवस्था पर प्रभाव (Advantages and Disadvantages of Demonetization in Hindi) (Currency Rules in India, India, Date 2016)

हाल ही में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने 2000 का नोट बंद करने का ऐलान किया है। विमुद्रीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें सरकार द्वारा अधिक मूल्य के पुराने नोट बंद किए जाते हैं, इसलिए विमुद्रीकरण को नोटबंदी के नाम से भी जाना जाता है।

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नोटबंदी को लेकर लोगों के मन में अलग-अलग तरह के सवाल होते हैं जैसे कि नोटबंदी क्यों की जाती है? नोटबंदी से लाभ और हानि क्या है? नोटबंदी का अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ता है?

विमुद्रीकरण देश की अर्थव्यवस्था से जुड़ा हुआ है एक महत्वपूर्ण एवं गंभीर मुद्दा है। इसीलिए भारतीय सिविल सेवा आयोग जैसी कई अन्य महत्वपूर्ण परीक्षाओं में विमुद्रीकरण (नोटबंदी) पर निबंध (Essay On Demonetization In Hindi) लिखने के लिए आ जाते हैं।

ऐसे में हम आपके लिए विमुद्रीककरण अर्थात् नोटबंदी पर निबंध लेकर आए हैं ताकि आप को नोटबंदी से जुड़े आपके सारे सवालों का जवाब मिल जाए साथ ही साथ प्रतियोगी परीक्षा में विमुद्रीकरण पर निबंध लिखने के लिए भी महत्वपूर्ण बिंदु आपको मिल सके।

विमुद्रीकरण/नोटबंदी पर निबंध (Essay on Demonetization in Hindi)

प्रस्तावना–

भारत जैसे विकासशील देश में काला धन (Black Money) एक गंभीर समस्या है। यह केवल देश की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करता है बल्कि इसका व्यापक भारत की आम जनता पर भी पड़ता है।

काला धन की समस्या से निपटने के लिए तथा इसे बाहर निकालने के लिए विमुद्रीकरण जैसे कठिन फैसले लिए जाते हैं। हालांकि यह फैसला आम जनता को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करता है तथा उनके लिए कठिनाइयां भी खड़ी कर देता है, लेकिन जमा किए गए काला धन को बाहर निकालने के लिए विमुद्रीकरण जैसे कई कठोर फैसले लेने ही पड़ते हैं।

साल 2016 में भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने जमा किए गए कालाधन को बाहर निकालने के लिए नोटबंदी का फैसला लिया। यह फैसला काफी हद तक कारगर भी रहा।

नोटबंदी से ना केवल काला धन उभर कर बाहर आया बल्कि आतंकवाद तथा नशे और ड्रग्स कीपर स्मगलिंग जैसी गैरकानूनी गतिविधियों पर भी लगाम लगी। भारत सरकार की इस नीति ने इंडिया को डिजिटल इंडिया बनाने में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

नोटबंदी के बाद भारत में डिजिटल पेमेंट्स में बहुत तेजी से उछाल आया और आज भारत सबसे ज्यादा ऑनलाइन डिजिटल पेमेंट उपयोग करने वाला देश है।

साल 2016 में की गई नोटबंदी के दौरान 500 और 1000 के पुराने नोट बंद कर दिए गए। तथा 500 और 2000 के नए नोट जारी किए गए। हालांकि अब भारतीय जनता पार्टी की केंद्र सरकार ने एक बार फिर से 2000 के नोट बंद करने का फैसला लिया है।

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विमुद्रीकरण क्या है? नोटबंदी पर निबंध | Notebandi-Essay-on-Demonetization-in-Hindi

नोटबंदी अर्थात विमुद्रीकरण का अर्थ (What is Demonetization in Hindi)

विमुद्रीकरण को साधारणतया नोटबंदी के नाम से जाना जाता है। विमुद्रीकरण का तात्पर्य है, सरकार द्वारा बड़ी मूल्य के नोटों पर प्रतिबंध लगा देना। नोटबंदी के दौरान आमतौर पर बड़े मूल्य के नोट ही प्रतिबंधित किए जाते हैं।

हालांकि सिक्कों तथा कम मूल्य के नोटों पर लगाया गया प्रतिबंध भी विमुद्रीकरण अंतर्गत ही आता है। विमुद्रीकरण अर्थात नोटबंदी होने के बाद जिन नोटों पर प्रतिबंध लगाया जाता है वह भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा अवैध करार दे दिए जाते हैं।

नोटबंदी होने के बाद इन नोटों का इस्तेमाल किसी भी विनिमय के लिए नहीं किया जा सकता।

कई बार नोटबंदी के बाद उसी मूल्य के तथा अन्य मूल्य के नए नोट भी जारी किए जाते हैं।

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नोटबंदी होने के दौरान लोगों को पुराने नोट जमा करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा कुछ समय की अवधि दी जाती है जिस दौरान यह नोट अवैध नहीं होते और बैंक द्वारा स्वीकृत कर जमा कर लिए जाते हैं।

लेकिन जब यह निर्धारित समय अवधि समाप्त हो जाती है तो नोटबंदी किए गए नोट अवैध क़रार दे दिए जाते हैं तथा उनके उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है।

विमुद्रीकरण की आवश्यकता क्यों? नोटबंदी क्यों की जाती है?

नोटबंदी को लेकर आम तौर पर सभी के मन में पहला सवाल यही होता है कि विमुद्रीकरण की आवश्यकता क्यों पड़ती है? नोटबंदी क्यों की जाती है?

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि नोटबंदी का संबंध देश की अर्थव्यवस्था से होता है। जब भी किसी देश में काले धन की जमाखोरी होने लगती है तो वहां विमुद्रीकरण की नीति अपना कर काला धन बाहर निकाला जाता है।

ऐसी परिस्थिति में लोग अवैध धन की जमाखोरी के साथ साथ जाली नोटों का कारोबार भी चरम सीमा पर आ जाता है। लोग आयकर में चोरी करने के लिए भी नगद लेनदेन करना शुरू कर देते हैं।

आयकर में चोरी के लिए नगद लेनदेन में भी ज्यादातर बड़े मूल्य के नोटों का इस्तेमाल किया जाता है इसीलिए विमुद्रीकरण अर्थात नोटबंदी के दौरान बड़े मूल्य के नोटों पर प्रतिबंध लगाया जाता है।

आपको बता दें कि काला धन की जमाखोरी देश विदेश में अवैध गतिविधियों के लिए इस्तेमाल की जाती है। इसी काला धन का उपयोग करके आतंकवादी गतिविधियों के लिए आतंकवादी संगठनों को फंडिंग की जाती है साथ ही साथ ड्रग्स और नशे का भी कारोबार इसी काले धन के साथ होता है।

ऐसे में नोटबंदी का फैसला काला धन उभारने के साथ-साथ आतंकवादी और नशे पर भी लगाम लगाने का एक बेहतरीन फैसला है। वित्तीय सलाहकारों का मानना यही है कि लगभग हर 5 साल पर देश की मुद्रा में कुछ न कुछ परिवर्तन करते रहना चाहिए।

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भारत में नोटबंदी (Demonetization History in India)

भारत में साल 2016 में भारतीय जनता पार्टी की केंद्र सरकार ने 500 तथा 1000 के नोट्स बंद करने का फैसला लिया था। जिसके बाद देश की आम जनता को नगद की किल्लत का बुरी तरह सामना करना पड़ा।

इस दौरान भारत की आम जनता को कई सारी कठिनाइयां उठानी पड़ी हालांकि नोटबंदी का लाभ आज भारत की अर्थव्यवस्था और भारत की जनता दोनों को मिल रहा है।

भारत में साल 2016 से पहले भी कई बार नोटबंदी की जा चुकी है। आइए जानते हैं –

  • भारत में पहली बार विमुद्रीकरण का फैसला साल 1946 में लिया गया था। इस दौरान भारत में 500, 1000 तथा 10 हजार की मुद्रा पर प्रतिबंध लगाया गया था।
  • भारत में दूसरी बार साल 1978 में नोटबंदी की गई थी। इस दौरान मोरारजी देसाई की भारतीय केंद्र सरकार ने 1000, 5000 तथा 10000 के नोट बंद कर दिए थे।
  • साल 2005 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की सरकार ने एक बार फिर से नोटबंदी का फैसला लिया और 500 तथा 2005 के पूर्व नोटों का विमुद्रीकरण किया था।
  • 8 नवंबर 2016 को रात 8:00 बजे भारतीय जनता पार्टी की केंद्र सरकार ने 500 और 1000 के पुराने नोट बंद करने का ऐलान किया। यह भारत के लिए सबसे बड़ी नोट बंदी थी जिसने भारत की आम जनता को बहुत प्रभावित किया। देश में नगद की किल्लत के कारण आम लोगों को कई सारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा जिसके कारण विपक्ष ने इसे एक बड़ा और गंभीर मुद्दा बनाकर खूब बवाल किया।
  • हालांकि इस नोटबंदी का भारतीय अर्थव्यवस्था और भारत के आम लोगों दोनों के जीवन शैली पर अनुकूल प्रभाव पड़ा और भारत की मौजूदा अर्थव्यवस्था में काफी सुधार हुआ।
  • नोटबंदी के चलते भारत में डिजिटल पेमेंट्स का सपना साकार हुआ और आज भारत दुनिया का ऐसा देश है जहां सबसे ज्यादा डिजिटल पेमेंट होता है। डिजिटल पेमेंट के मामले में चीन भी भारत से पीछे है।

नोटबंदी के फायदे /लाभ (Advantages of Demonetization)

  • नोटबंदी के जरिए भारत सरकार को देश के नागरिकों की आय का विवरण मिल गया और आयकर में हो रही चोरियां पकड़ी गई।
  • जिन भारतीय नागरिकों के पास उनकी आय से ज्यादा पैसे मिले उनपर भारतीय आयकर विभाग ने कार्रवाई की और जांच-पड़ताल के बाद काला धन की जमाखोरी पकड़ी गई।
  • भारत में इकट्ठे किए गए काले धन से ही देश में देश विरोधी गतिविधियां जन्म लेती हैं और इसी काले धन से उनकी फंडिंग की जाती है। ऐसे में नोटबंदी से इन गतिविधियों पर लगाम लगी।
  • नोटबंदी होने के बाद इकट्ठे किए गए काले धन अवैध हो गए जिसके कारण आतंकवादी संगठनों को फंडिंग देनी बंद हो गई और भारत में आतंकवादी गतिविधियां काफी हद तक स्थगित हो गई।
  • नोटबंदी द्वारा काले धन की जमाखोरी पकड़ी गई जिससे सरकार को भी काफी फायदा हुआ है तथा इन पैसों का इस्तेमाल देश की जनता की सेवा में लगाया गया।
  • नोटबंदी के बाद नगद लेन देना काफी प्रभावित हुआ और डिजिटल पेमेंट्स की रफ्तार बढ़ने लगी। नोटबंदी के बाद भारत में डिजिटल पेमेंट किधर तकरीबन 400% बड़ी जिसने डिजिटल इंडिया के सपने को साकार किया।
  • आज भारत डिजिटल पेमेंट्स की दुनिया में खड़ा है। चीन जैसे एडवांस टेक्नोलॉजी के देश भी डिजिटल लेन-देन के मामले में भारत से पीछे हैं।
  • नोटबंदी के बाद भारत सरकार को लोगों की आय का विवरण भी मिला। इससे भारतीय आयकर विभाग को भी काफी फायदा हुआ और लोग आयकर देने लगे। इससे आयकर में होने वाली चोरियां भी पकड़ी गई और आयकर चोरों पर कार्रवाई भी की गई।
  • जिस दौरान भारत में नोटबंदी हुई इस दौरान मार्केट में 500 तथा 1000 के नोट्स भारी भरकम जमाखोरी के साथ उपलब्ध थे। साथ ही साथ इन नोटों के जाली नोट भी बनाए जा रहे थे। कई बार बैंकों से भी जाली नोट निकलने की घटनाएं सामने आई थी।
  • नोटबंदी के बाद 500 1000 के जाली नोटों का कारोबार पूरी तरह से ठप हो गया और नकली तथा जाली अवैध नोट पकड़े गए।
  • नोटबंदी के बाद भारत की अर्थव्यवस्था में काफी तेजी से सुधार हुआ और आज भारत विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है।
  • पिछले कुछ सालों से 2016 में जारी किए गए 2000 के नए नोटों की जमाखोरी भी काफी तेज होने लगी थी जिसके चलते भारतीय जनता पार्टी ने 2023 में 2000 के नोट भी बंद कर दिए ताकि इनकी जमाखोरी बाहर निकल सके।

नोटबंदी के नुकसान/हानि (Disadvantages of Demonetization)

  • नोट बंदी के चलते आम आदमियों को नकदी की किल्लत के कारण बहुत सारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।
  • नोटबंदी पीरियड के दौरान भारत में करेंसी की किल्लत से विदेशी पर्यटकों का आना-जाना भी काफी कम हो गया था।
  • नोट बंदी के दौरान आम लोगों को पुराने नोट बदलने के लिए बैंकों में लंबी कतारें लगानी पड़ेगी। इस दौरान कुछ लोग घायल भी हो गए थे तथा कई लोगों की मौत भी हो गई थी।
  • नोटबंदी के दौरान स्थानीय स्थानी नगदी मुद्रा ना होने के कारण पर्यटन स्थलों को काफी नुकसान का सामना करना पड़ा।
  • नोटबंदी की वजह से काफी दिनों तक बाजार में मंदी आ गई।

नोटबंदी का परिणाम –

  • नोटबंदी के बाद काले धन के अंतर्गत जमा किए गए बड़े मूल्य के नोट जैसे 2016 में 500, 1000 के नोट केवल एक कागज़ का टुकड़ा बन कर रह गए। नोटबंदी के बाद भ्रष्टाचारियों द्वारा छुपाया गया काला धन बेकार हो गया और इसका दुरुपयोग भी रुक गया।
  • देश में साल 2016 में हुई नोटबंदी के बाद जाली नोटों के मुद्रण कारोबार में काफी तेजी से कमी आई जिससे देश का नुकसान काफी हद तक कम हो गया।
  • नोटबंदी के बाद भारत में कैशलेस इकोनॉमी की प्रथा काफी देरी से चली और भारत डिजिटल पेमेंट्स में विकसित देशों को पीछे छोड़ कर प्रथम स्थान पर बहुत गया।
  • नोटबंदी के बाद भारी मात्रा में काला धन निकलकर सरकार के पास में जमा हुआ जिसका उपयोग जन कल्याण योजनाओं के लिए किया गया।
  • नोटबंदी के बाद भारत की अर्थव्यवस्था में भी धीरे-धीरे काफी सुधार हुआ।

उपसंहार –

विमुद्रीकरण अर्थात नोटबंदी की नीति काले धन को बाहर निकालने और इसका दुरुपयोग रोकने के लिए एक बेहतर नीति है इसीलिए वित्तीय सलाहकार और अर्थशास्त्रियों का मानना है कि समय-समय पर विमुद्रीकरण को लेकर सरकार को विचार करना चाहिए और पुरानी करेंसी नोटों में परिवर्तन के लिए कदम भी उठाने चाहिए।

भारत जैसे विकासशील देश में सरकार द्वारा उठाए गए इन कदमों का जितना सहयोग किया जाता है उसका उतना ही विरोध भी होता है। साल 2016 में विपक्ष ने नोटबंदी के मुद्दे को लेकर लोकसभा राज्यसभा तथा अन्य सभी मंचो पर भारत सरकार को घेरा और इसे आम जनता के लिए बेबुनियाद बताया।

हाल ही में साल 2016 में जारी किए गए 2000 के नोट भी बंद करने का ऐलान भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा कर दिया गया है। 30 सितंबर साल 2023 तक 2000 के नोट प्रभावशाली रहेंगे इसके बाद इन्हें अवैध करार दे दिया जाएगा। बैंकों में नोट की अदला बदली शुरू हो चुकी है और लोगों के पास काफी वक्त भी है ताकि वह अपने पास रखे गए 2000 के नोटों की अदला-बदली कर सकें।

नोटबंदी का फैसला विकासशील देश के लिए एक कठिन फैसला है हालांकि यह फैसला हमारी अर्थव्यवस्था और हमारे देश के हित हैं इसीलिए हमें ऐसी मुद्दों पर खड़े होकर 12 सरकार का साथ देना चाहिए। हालांकि यह बात भी सच है कि नोटबंदी के दौरान आम जनता को कई सारी कठिनाइयों का सामना उठाना पड़ता है लेकिन नोटबंदी के बाद भारत सरकार देश की अर्थव्यवस्था और देश को जो फायदा होता है वह भी आम जनता को ही जाता है।

तो दोस्तों आज इस लेख के जरिए हमने आपको विमुद्रीकरण (नोटबंदी) पर निबंध (Essay On Demonetisation In Hindi) के बारे में बताया। मैं उम्मीद करता हूं कि आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा।

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